सार

मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा के बाद पुलिस शस्त्रागार से करीब 2,000 हथियार लूट लिए गए थे।

Manipur Violence Updates: हिंसाग्रस्त मणिपुर के पांच जिलों से कर्फ्यू हटा दिया गया है। पांच जिलों से कर्फ्यू हटाने के साथ ही कई अन्य क्षेत्रों में कर्फ्यू में ढील भी दी गई है। शांति बहाली के लिए सरकार द्वारा किए गए ऐलान की दिशा में यह छूट दी जा रही है। सोमवार से बुधवार तक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शांति स्थापना के लिए कैंप किए हुए थे। राज्य सरकार ने बताया कि हिंसा के दौरान पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए 2 हजार से अधिक हथियारों में करीब 140 हथियार सरेंडर भी किए गए हैं।

2000 हथियार राज्य में हुई हिंसा में लूट लिए गए थे, 140 हुए वापस

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा हिंसा प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य के लिए शांति योजना की घोषणा के एक दिन बाद राज्य में कर्फ्यू में ढील देने के साथ ही लूटे हुए हथियार भी काफी संख्या में वापस सरेंडर कर दिए गए हैं। दरअसल, हिंसा के दौरान पुलिस शस्त्रागार से 2 हजार के आसपास हथियार लूट लिए गए थे। राज्य की पुलिस ने कहा कि गृह मंत्री की चेतावनी के बाद मणिपुर में 140 हथियार सौंपे गए हैं। हथियारों में एके-47, इंसास राइफल, आंसूगैस, स्टेन गन, एक ग्रेनेड लांचर और कई पिस्तौल शामिल हैं। ये सभी सर्विस पैटर्न वाले हथियार हैं और प्रतिबंधित हैं।

मणिपुर की चार दिवसीय यात्रा के दौरान कई समूहों के साथ मुलाकात करने वाले अमित शाह ने गुरुवार को हथियार नहीं डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी। उन्होंने राज्य में स्थिरता बहाल करने की योजना के तहत हिंसा की जांच और एक शांति समिति की भी घोषणा की थी। गृह मंत्री ने चेतावनी दी थी कि सुरक्षा बल हथियारों की तलाश शुरू करेंगे।

रिटायर्ड जज का पैनल करेगा हिंसा की जांच, शांति कमेटी भी घोषित

गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य में शांति बहाली के लिए लोगों की मांग पर जातीय हिंसा की जांच के लिए एक पैनल भी बनाया। एक रिटायर्ड चीफ जस्टिस के नेतृत्व में जांच कमेटी बनाई गई है। इसके अलावा पीस कमेटी का भी गठन किया गया है। पीस कमेटी की अध्यक्षता राज्यपाल करेंगे। इसमें सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह सदस्य होंगे। साथ ही नागरिक समाज के भी सदस्यों को इसमें शामिल किया गया है।

क्या है मणिपुर जातीय हिंसा की वजह?

इम्फाल घाटी में और उसके आसपास रहने वाले मैतेई लोगों और पहाड़ियों में बसे कुकी जनजाति के बीच हिंसात्मक टकराव में अब तक 80 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। कई हजार घरों को विद्रोहियों ने आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा के शुरू हुए एक महीना हो चुके है। 3 मई से संघर्ष शुरू हुआ था जो जारी है। राज्य में पिछले 25 दिनों से इंटरनेट बंद है। दरअसल, आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर पहले झड़प हुई थी। इस संघर्ष ने छोटे-छोटे आंदोलनों की एक श्रृंखला को जन्म दिया है। इन झड़पों के पीछे भूमि और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग है। उधर, मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को एक जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किया, इसके बाद हिंसा बेकाबू हो गई।

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