केरल सरकार द्वारा एशियानेट न्यूज की कार्यकारी संपादक सिंधु सूर्यकुमार और अन्य पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है। एशियानेट न्यूज दृढ़ता से इन पत्रकारों का समर्थन करता है। धमकी देने और दबाने की कोशिश से एशियानेट न्यूज चुप नहीं रहेगा।
पूर्व सब-जज और वाम समर्थक एस सुदीप ने एशियानेट न्यूज की कार्यकारी संपादक सिंधु सूर्य कुमार के खिलाफ फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट किया है। इसके चलते सोशल मीडिया पर सुदीप की जमकर आलोचना हो रही है। लोग उन्हें खूब फटकार लगा रहे हैं। इसके साथ ही बड़ी संख्या में लोग सिंधु सूर्यकुमार को अपना समर्थन दे रहे हैं।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार मीडिया का उत्पीड़न कर रही है। राज्य सरकार पत्रकारों को धमकाने और दबाने के लिए ऐसे काम कर रही है जैसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। राज्य सरकार के प्रश्रय का ही असर है कि सुदीप जैसे लोग सोशल मीडिया पर पत्रकारों के खिलाफ जहर उगल रहे हैं।
एशियानेट न्यूज केरल सरकार द्वारा प्रताड़ित की जा रहीं सिंधु और अन्य पत्रकारों के साथ मजबूती से खड़ा है। किसी भी तरह की धमकी देने या डराने-धमकाने से हम चुप नहीं रहेंगे। हम 'स्ट्रेट बोल्ड एंड रिलेंटलेस' के आदर्श वाक्य पर अमल करते हुए अपनी पत्रकारिता जारी रखेंगे।
जून 2021 में सुदीप ने दिया था इस्तीफा
सुदीप ने जून 2021 में सब-जज के अपने पद से इस्तीफा दिया था। सुदीप ने सबरीमाला मुद्दे पर आपत्तिजनक पोस्ट किया था। इस मामले के तूल पकड़ने पर केरल हाईकोर्ट में कई याचिकाएं लगाई गईं थीं। इसके बाद केरल हाईकोर्ट ने जांच की थी और सुदीप को फटकार लगाई थी। इसके चलते सुदीप को अपना पद छोड़ना पड़ा था।
इस मुद्दे को सिंधु सूर्यकुमार ने साप्ताहिक कार्यक्रम 'कवर स्टोरी' में उठाया था। उन्होंने मौजूदा सरकार द्वारा किए जा रहे गलत कामों का जिक्र किया था। दरअसल, 'कवर स्टोरी' हमेशा सभी सरकारों (राज्य और केंद्र) की कमियों और गलत कार्रवाई के खिलाफ अपनी तीखी आलोचना के लिए जानी जाती है।
इसी कार्यक्रम के चलते सुदीप ने सिंधु पर हमला किया और कहा कि 'कवर स्टोरी' में जो बातें बताई गईं वो गलत हैं। इसके साथ ही सुदीप ने सिंधु और एशियानेट न्यूज का अपमान करने के लिए फेसबुक पर लंबा पोस्ट लिखा। इसमें उन्होंने मनगढ़ंत बातें लिखी और चैनल व सिंधु को बदनाम करने की कोशिश की। इसके चलते सोशल मीडिया पर लोग सुदीप की जमकर आलोचना कर रहे हैं।
सुदीप की पोस्ट का अनुवाद
“POCSO मामले में फरार चल रही एक हाई-प्रोफाइल महिला पत्रकार अपने ठिकाने पर sexually aroused है। वह अपने पति को छिपकर ठिकाने पर नहीं ले जा सकती। उसका पति पुलिस की निगरानी में है। पुलिस निश्चित रूप से उस पर नजर रखेगी और पत्रकार को पकड़ लिया जाएगा। पत्रकार को तुरंत लालसा पूरी करनी होती है। चैनल के संपादकीय बोर्ड ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तत्काल बैठक बुलाई। इसके बाद बोर्ड ने कुछ समय के लिए मिल्क बॉय के साथ तालमेल बिठाने का फैसला किया।”
"इस फैसले की पत्रकार ने आलोचना की और बोर्ड को तितर-बितर कर दिया गया। अगर दूधवाले ने बड़े मीडियाकर्मी के स्टैंडर्ड में पानी डाल दिया तो क्या होगा? क्या चिन्नकुलंथा (छोटा लड़का) मूल्यों को कायम रख सकता है? पत्रकार की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए संपादकीय बोर्ड के सदस्यों ने इस मामले पर फिर से चर्चा की। उन्होंने गांजा पी कर मंथन किया। चैनल के बॉस को गुस्सा आ गया। इससे दुखी होकर सेंटर सहन (जो एक अय्याश और सोना तस्कर भी है) ने कहा, "मैं इस समस्या का हल करूंगा, जिससे राज्य में कुछ नहीं करने वाली स्वप्ना-ताहन की शिकायत दूर हो जाए।" इसपर बॉस ने कहा, "तुम बुर्ज खलीफा में अपने काम से काम रखो, मैं इस परेशानी को खत्म करूंगा।"
“चैनल के बॉस चार्टर्ड फ्लाइट से वरिष्ठ पत्रकार के ठिकाने पर पहुंचे। बॉस से उसकी चाहत में बढ़ोतरी के अलावा कुछ खास नहीं हुआ। मालिक के रातों-रात इज्जत और सामान लेकर देश छोड़कर भागने की घटना शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है।”
“क्या आपने इस स्ट्रीट गॉसिप के बारे में पहले सुना है? आप और मैं जानते हैं कि हमने इसे नहीं सुना है, लेकिन मान लीजिए आपके पास एक चैनल है। आपने इस कहानी को चैनल पर प्रसारित किया है। आप खुद को उस स्थिति में कल्पना नहीं करें। मेरी कल्पना करें। क्योंकि आप इतने खराब व्यवहार करने वाले मालिक या कर्मचारी नहीं हैं। वह कहानी जंगल की आग की तरह फैल जाएगी।”
“पिछली कहानी कल इतिहास का हिस्सा बन जाएगी। भविष्य में शक्तिधरन (सीपीएम के मुखपत्र देशाभिमानी के पूर्व संपादकीय बोर्ड सदस्य जी शक्तिधरन) द्वारा खबरें पोस्ट होंगी। वह कामरेडों और उनके भ्रष्ट कार्यों को उजागर करने के लिए स्नोडेन जैसे मिशन पर हैं।”
“जो स्वयं सेवक कुछ समझ नहीं पा रहे हैं वे कहानी को बार-बार पढ़ेंगे और आह भरेंगे। इस तरह यहां के मीडिया ने नंबी नारायणन के विंड फार्मों के बारे में कहानी बनाई। इसलिए ऊपर बताई गई कहानियों पर हंसकर उन्हें खारिज नहीं करें।”
“इस तरह कहानियां हवा में बनती हैं और न्यूज बन जाती हैं। इसे बनाने वालों को मीडिया सिंडिकेट कहा जाता है। अगर आपको लगता है कि ऐसे कहानीकार और मीडिया सिंडिकेट गायब हो गए हैं, तो आप गलत हैं। इनके कहानीकारों में से केंद्रीय मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता वी मुरलीधरन के सहयोगी केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के एशियानेट चैनल की कार्यकारी संपादक सिंधु सूर्यकुमार हैं।”
“उन्होंने कहानी बनाई और इसे 'अंगड़ीपट्टू' कहकर न्यूज बना दिया। वह मूर्खतापूर्ण कहानी है कि 'राजनीतिक शक्ति वाले एक दादा और दादी विदेश यात्रा के बाद दुबई पहुंचे। एक सप्ताह बाद उनके पोते को एक बड़े व्यवसायी के खर्च पर बिजनेस क्लास में दुबई लाया गया। पोता अपने दादा-दादी से मिलने के लिए बहुत उत्साहित थे। इससे बहस छिड़ गई। सिंधु यहीं नहीं रुकीं और आगे कहा, 'अगर हम इन चीजों को उजागर करने की कोशिश करेंगे तो तथाकथित नेताओं के कुछ प्रशंसक यह कहकर हमला बोल देंगे कि उन्हें कलंकित किया जा रहा है।”
“यदि सिंधु और उनके चैनल को हिम्मत है और अपनी खबरों पर भरोसा है तो उन्हें उस दादाजी का नाम बताना चाहिए। खुद खबर गढ़ना मीडिया का काम नहीं है। इसका नाम कॉमरेड एम स्वराज ने बहुत पहले बताया था। हम यह नहीं कहेंगे कि सिंधु बिना चश्मे वाली स्वप्ना सुरेश हैं। यहां तक कि स्वप्ना मानहानि का नोटिस भी भेजेगी। अब सिंधु और उनकी टीम भारी हंगामा करेगी, उनके पास हमारे सवालों का जवाब नहीं होगा। वे इसे साइबर हमला कहेंगे। वह दक्षिणपंथी गुंडों को मौखिक दुर्व्यवहार करने का काम सौंपेगी। इसे मेरे सोशल मीडिया अकाउंट में जोड़ा जाएगा।”