बिहार के पूर्णिया में त्रिकोणीय चुनावी लड़ाई है। कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल कर राजद की मुश्किल बढ़ा दी है। इससे जदयू को बढ़त मिल सकती है।
पूर्णिया। लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार में सबसे अधिक चर्चा पूर्णिया सीट को लेकर है। महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर फैसला होने से पहले पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल हुए। अपनी पार्टी जाप (जन अधिकार पार्टी) का विलय कर दिया। वह पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उनके साथ राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने खेल कर दिया। सीट-बंटवारे होने से पहले ही पूर्णिया से अपनी उम्मीदवार बीमा भारती को टिकट दे दिया।
पप्पू यादव ने न खाएंगे और न खाने देंगे की राह पर चलते हुए पूर्णिया सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है। वह जनता के बीच जा रहे हैं और लालू यादव द्वारा किए गए धोखे की कहानी सुनाकर आंसू बहा रहे हैं। पप्पू यादव जितनी आक्रामकता से चुनाव प्रचार कर रहे हैं उतना ही राजद के राह में रोड़े बिछा रहे हैं। दूसरी ओर इससे जदयू को बढ़त मिलती दिख रही है।
पप्पू यादव ने राजद पर लगाया है राजनीतिक करियर खत्म करने की कोशिश का आरोप
पप्पू यादव ने राजद पर उनका राजनीतिक करियर खत्म करने की कोशिश का आरोप लगाया है। पूर्णिया में चुनावी लड़ाई त्रिकोणीय है। पप्पू यादव निर्दलीय हैं। राजद ने जदयू छोड़कर आईं पूर्व मंत्री बीमा भारती को टिकट दिया है। जदयू ने पूर्णिया के मौजूदा सांसद संतोष कुमार कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है।
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पूर्णिया से पप्पू यादव को तीन बार मिली थी जीत
2019 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा ने कांग्रेस के उदय सिंह को 2.6 लाख से अधिक वोटों से हराया था। पूर्णिया में यादव वोटर की संख्या अच्छी खासी है। पप्पू यादव खुद को बड़ा यादव नेता मानते हैं। दूसरी ओर यादव समाज के वोट पर राजद की भी निर्भरता है। ऐसे में इलाके के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पप्पू यादव को जितना वोट मिलेगा उतना राजद का कम होगा। इससे सीधे-सीधे एनडीए उम्मीदवार कुशवाहा को फायदा होगा। पूर्णिया से पप्पू यादव को लोकसभा चुनाव में 1991, 1996 और 1999 में जीत मिली थी। इसके बाद उन्होंने मधेपुरा से चुनाव लड़ा और दो बार जीत हासिल की।
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