जनता के धन पर पहली बार नहीं कांग्रेस की नजर, एक वक्त था जब अपने ही पैसे निकालने को तरसते थे लोग

कांग्रेस की सरकारों ने 1963 और 1974 में अनिवार्य जमा योजना लागू किया था। इसके चलते लोगों को अपनी कमाई का कुछ हिस्सा अनिवार्य रूप से बैंक में जमा रखना पड़ता था।

Vivek Kumar | Published : Apr 24, 2024 10:19 AM IST / Updated: Apr 24 2024, 03:51 PM IST

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सर्वे कराने की वकालत की है कि लोगों के पास कितनी संपत्ति है। इसपर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कांग्रेस की सरकार आई तो लोगों की संपत्ति जब्त कर दूसरों में बांट देगी। इस मुद्दे पर राजनीति तेज है। इस बीच इतिहास के पन्नों में देखें तो यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस की नजर जनता के धन पर है।

कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों ने 1963 और 1974 में अनिवार्य जमा योजना लागू किया था। इसके चलते जनता के पैसे का एक हिस्सा बैंक में बंद हो गया था। लोग अपने ही पैसे निकालने के लिए तरसते थे। इस योजना के तहत लोगों को पांच साल तक अपनी मेहनत की कमाई बैंक में छोड़ना पड़ता था। वह पैसा वर्षों तक फंसा रहता था। लोग उसका उपयोग नहीं कर पाते थे।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कांग्रेस अपने घोषणापत्र के अनुसार, देश की संपत्ति को "घुसपैठियों" और "जिनके पास अधिक बच्चे हैं" के बीच बांट देगी। ये बातें उन्होंने मुस्लिम समुदाय की ओर संकेत देते हुए कहीं। पीएम ने इन आरोपों को अपनी कई चुनावी रैलियों में दोहराया है।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब राहुल गांधी ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो यह पता लगाने के लिए एक सर्वे कराएगी कि देश की संपत्ति पर किसका कब्जा है। इसके बाद उसे फिर से बांटने की कवायद की जाएगी।

इस बीच कई सोशल मीडिया यूजर्स और भाजपा नेताओं ने 1963 और 1974 में कांग्रेस द्वारा लागू की गई योजना पर प्रकाश डाला है। इसके तहत टैक्स देने वालों को को तीन से पांच साल की अवधि के लिए अपनी कमाई का एक हिस्सा अनिवार्य रूप से जमा करना अनिवार्य था। इस कानून का नाम अनिवार्य जमा योजना (सीडीएस) था। कांग्रेस ने इसे "राष्ट्रीय आर्थिक विकास के हित में" बताकर लागू किया था।

अनिवार्य जमा योजना क्या थी?

अनिवार्य जमा योजना विधेयक पहली बार 1963 में तत्कालीन वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने बजट में पेश किया था। यह कानून 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान पहला आपातकाल घोषित होने के बाद लाया गया था।

इस कानून के अनुसार लोगों को जमीन से होने वाली आमदनी का 50% जमा करना पड़ता था। शहरी क्षेत्रों में स्थित अचल संपत्तियों के किराये का 3% जमा करना पड़ता था। केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों को वेतन से अपनी वार्षिक आय का 3% जमा करना पड़ता था। यह दर टैक्स देने वाले उन लोगों के लिए थी जिनकी सालाना आय 6,000 रुपए या उससे कम थी। अधिक आय वालों को पहले 6,000 रुपए का 3% और शेष राशि का 2% (जो भी कम हो) जमा करना होता था। पैसे जमा न करने वालों पर भारी जुर्माना लगता था।

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1974 में फिर से लागू की गई थी ये योजना

1974 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने से एक साल पहले 1974 में इस कानून को फिर से लागू किया गया था। उस समय मनमोहन सिंह सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार थे। 1974 में जमा दरें आय के 4% -18% के बीच तय की गई थीं। यह योजना कृषि आय पर भी लागू थी।

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