महाराष्ट्र विधानसभा में हंगामा, धक्कामुक्की के आरोप के बाद BJP के 12 विधायक एक साल के लिए निलंबित

महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र पहले ही दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया। कृषि कानून ओबीसी आरक्षण के समर्थन में हंगामा करने पर भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया है। उन पर सत्तापक्ष के विधायकों के साथ धक्कामुक्की करने का आरोप है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 5, 2021 9:37 AM IST / Updated: Jul 05 2021, 03:46 PM IST

मुंबई. जैसी की पहले से ही आशंका थी; महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र जबर्दस्त हंगामे से शुरू हुआ। कृषि कानून ओबीसी आरक्षण के समर्थन में हंगामा करने पर भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया है। उन पर सत्तापक्ष के विधायकों के साथ धक्कामुक्की करने का आरोप है। ये विधायक हैं-पराग अलवानी, राम सतपुते, संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटकलकर, शिरीष पिंगले, जयकुमार रावल, योगेश सागर, नारायण कुचे और कीर्तिकुमार भंगड़िया।

भाजपा विधायकों ने किया प्रदर्शन
मानसून सत्र शुरू होते ही भाजपा विधायकों ने पहले विधानसभा के बाहर ओबीसी आरक्षण, महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) और कृषि मुद्दों को लेकर हाथों में बैनर लिए प्रदर्शन करते रहे। इसके बाद अंदर भी हंगाम किया।

सदन में धक्कामुक्की
सत्र में शामिल होने पहुंचे भाजपा विधायकों ने प्रवेश करते ही नारेबाजी शुरू की। बताया जात है कि एक बारगी तो विधानसभा अध्यक्ष भास्कार जाधव के सामने ही भाजपा और सत्तापक्ष के विधायक एक-दूसरे से धक्का-मुक्की करने लगे। भाजपा विधायकों पर अध्यक्ष के साथ भी धक्कामुक्की का आरोप है। इसके बाद अध्यक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने भाजपा के 12 विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव पेश कर दिया। इसे बहुमत से पारित कर दिया गया।

सरकार तीन प्रस्ताव ला रही है
मानसून सत्र में सरकार तीन प्रस्ताव ला रही है। पहला-कृषि कानूनों का विरोध, दूसरा-मराठा आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र के हस्तक्षेप और राजनीति में ओबीसी आरक्षण। बता दें कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली के बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं। उन्होंने विपक्ष से समर्थन मांगा है। वहीं, मराठा आरक्षण में महाविकास आघाडी सरकार केंद्र से हस्तक्षेप की मांग कर रही है। हालांकि केंद्र सरकार की इस संबंध में दायर पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। वहीं, भाजपा की मांग है कि राजनीति यानी निकाय चुनाव में ओबीसी का आरक्षण बहाल होना चाहिए, जबकि सरकार इसके पक्ष में नहीं है।

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