Mahatma Gandhi Jayanti:युवावस्था से पीएम बनने तक के सफर में बापू के विचारों को आत्मसात करते रहे नरेंद्र मोदी

Published : Oct 02, 2022, 03:45 PM IST
Mahatma Gandhi Jayanti:युवावस्था से पीएम बनने तक के सफर में बापू के विचारों को आत्मसात करते रहे नरेंद्र मोदी

सार

नरेंद्र मोदी अपने राजनीतिक जीवन में सबसे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री पद के रूप में किसी संवैधानिक पद पर आसीन हुए थे। मुख्यमंत्री बनने के पहले वह बापू की जन्मस्थली पोरबंदर पहुंचे थे। 2001 में बापू के आश्रम में पहुंचकर उनको नमन किया था। उसके बाद गुजरात के मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ली थी। 

Mahatma Gandhi Jayanti: महात्मा गांधी के विचार युगों-युगों तक प्रासंगिक रहेंगे। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी महात्मा गांधी के विचारों और उनकी सोच से खुद को अलग नहीं पाते हैं। वह अपने शुरूआती दिनों से ही महात्मा गांधी के प्रशंसक रहने के साथ उनके आदर्शों को आत्मसात करने की कोशिश करते रहे। 80 के दशक में अपनी डॉयरी के माध्यम से बापू के विचारों को कोट करना हो या प्रधानमंत्री रहते हुए लोक कल्याण के कार्यक्रमों को लागू करना, हर बार महात्मा गांधी के विचारों के प्रति अगाध श्रद्धाभाव की झलक उसमें देखने को मिलती रही है। पहली बार गुजरात का मुख्यमंत्री पद संभालने के कुछ दिनों पहले भी उनका पोरबंदर में बापू के आश्रम में पहुंचकर आशीर्वाद लेना इसी वैचारिक प्रतिबद्धता की कहानी कहती है। 

1980 में लिखी डॉयरी में महात्मा गांधी के कोट्स...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युवावस्था से ही महात्मा गांधी के प्रति गहरी आस्था रखते रहे हैं। नरेंद्र मोदी युवावस्था में डायरी भी लिखते थे। अपनी जीवन और विचारों को डायरी में कोट किया करते थे। साल 1980 में उन्होंने अपनी डायरी में स्वयं ही महात्मा गांधी के विचारों को कोट किया है। बापू का जनसामान्य के प्रति सोच, आमजन और गरीबों के उत्थान के लिए ग्रामस्वराज व विभिन्न योजनाओं की परिकल्पना ने मोदी को काफी प्रभावित किया। जानकार बताते हैं कि पीएम मोदी का सबका साथ-सबका विकास का नारा भी बापू के वैचारिक सोच की झलक है। उनकी योजनाओं में भी महात्मा गांधी के आदर्शों की झलक दिखती है।

जीवन में पहला संवैधानिक पद संभालने के पहले पहुंचे बापू की शरण में...

नरेंद्र मोदी अपने राजनीतिक जीवन में सबसे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री पद के रूप में किसी संवैधानिक पद पर आसीन हुए थे। मुख्यमंत्री बनने के पहले वह बापू की जन्मस्थली पोरबंदर पहुंचे थे। 2001 में बापू के आश्रम में पहुंचकर उनको नमन किया था। उसके बाद गुजरात के मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ली थी। 

बापू के जनभागीदारी वाली सोच को आगे बढ़ाया

दरअसल, आजादी के आंदोलन में महात्मा गांधी ने सबसे बड़ा योगदान देने का काम किया था। उन्होंने आजादी के आंदोलन में जनभागीदारी सुनिश्चित की थी। लोगों को प्रेरित किया कि हर कोई इस आंदोलन में अपना योगदान दे सकता है। बापू की जनभागीदारी वाली सोच से पीएम मोदी भी हमेशा प्रभावित रहे। बापू की इस सोच को आगे बढ़ाते हुए अपने कार्यकाल में विभिन्न कार्यक्रमों व मौकों पर वह जनभागीदारी को बढ़ावा देने के लिए जुटे रहते हैं। देश के विकास में सबका साथ-सबका विकास का नारा भी जनभागीदारी का एक बड़ा उदाहरण है।
 

 

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