सिंगूर प्रोजेक्ट के खिलाफ 16 साल पहले की भूख हड़ताल को याद कर ममता बनर्जी ने दिया चैलेंज, लेकिन खुद उलझीं

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिंगूर प्रोजेक्ट( Singur project) के बहाने राजनीतिक विरोधियों को चैलेंज किया है। तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई 347 एकड़ जमीन की वापसी की मांग को लेकर ममता बनर्जी ने 4 दिसंबर, 2006 को भूख हड़ताल शुरू की थी। 

कोलकाता. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिंगूर प्रोजेक्ट( Singur project) के बहाने राजनीतिक विरोधियों को चैलेंज किया है। बता दें कि टाटा मोटर्स की नैनो कार फैक्ट्री(Tata Motors Nano car factory) स्थापित करने के लिए तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार द्वारा जबरन अधिग्रहित की गई 347 एकड़ जमीन की वापसी की मांग को लेकर 4 दिसंबर, 2006 को भूख हड़ताल शुरू की थी। ममता बनर्जी ने लोगों को उनकी उस 26 दिनों की भूख हड़ताल की याद दिलाते हुए कहा कि अगर लोगों के अधिकारों पर कोई खतरा पैदा हुआ, तो वे कभी चुप नहीं बैठेंगी। ममता बनर्जी G20 की मीटिंग के सिलसिले में नई दिल्ली में हैं। ममता बनर्जी राजस्थान में अजमेर शरीफ जाएंगी और चिश्ती की दरगाह पर चादर चढ़ाएंगी। वे छह सितंबर को पुष्कर जाएंगी और सात दिसंबर को दिल्ली में पार्टी के संसदीय दल के साथ बैठक करेंगी। बैठक में संसद की शीतकालीन सत्र के पहले रणनीति बनाई जाएगी। (तस्वीर- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार, 30 नवंबर, 2022 को उत्तर 24 परगना के खापुकुर गांव के एक स्कूल में स्कूली छात्रों के साथ बातचीत की थी)


ममता बनर्जी ने 16 साल पहले सिंगूर में कार कारखाने के लिए कृषि भूमि के जबरन अधिग्रहण का विरोध करने के लिए भूख हड़ताल शुरू की थी। अबतृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो बनर्जी ने एक ट्विटर पोस्ट में कहा कि अगर लोगों के अधिकारों को खतरा होता है, तो वह कभी चुप नहीं बैठेंगी।

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ममता बनर्जी ने लिखा-"आज से 16 साल पहले मैंने सिंगूर और देश के बाकी हिस्सों के किसानों के लिए अपनी भूख हड़ताल शुरू की थी। यह मेरा नैतिक कर्तव्य था कि मैं उन लोगों के लिए लड़ूं जो शक्तिशाली और लालचियों के कारण असहाय रह गए थे। वह लड़ाई मुझमें जीवित है। मैं अपने लोगों के अधिकारों को कभी भी खतरे में नहीं पड़ने दूंगी!" 


एक समय था, जब हुगली जिले का सिंगुर कई फसलों की खेती के लिए प्रसिद्ध था। पहली बार सिंगुर टाटा मोटर्स द्वारा 2006 में अपनी नैनो कार फैक्ट्री के लिए इस क्षेत्र का चयन करने के बाद सुर्खियों में आया था। तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग 2 के साथ 997.11 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था प्लांट लगाने के लिए इसे सरकार को सौंप दिया था।  बनर्जी ने उस वर्ष 4 दिसंबर को जबरन अधिग्रहीत 347 एकड़ जमीन वापस करने की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू की थी। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पत्र मिलने के बाद उन्होंने 29 दिसंबर को अनशन समाप्त किया था। हालांकि, आंदोलन जारी रहा और टाटा मोटर्स ने 2008 में सिंगूर में प्लांट लगाने का  अपना इरादा छोड़ दिया।


बता दें कि पूर्व मेदिनीपुर जिले के सिंगुर और नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलनों को 2011 में 34 वर्षीय वाम मोर्चा शासन को हराकर टीएमसी को सत्ता में लाने के लिए माना जाता है। zeenews.india की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि रविवार को बनर्जी का ट्वीट सामने आने के बाद राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने उन पर राज्य में कोई भी बड़ा उद्योग स्थापित करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। भाजपा के सीनियर लीडर राहुल सिन्हा ने दावा किया कि बनर्जी के आंदोलन ने न केवल सिंगूर के लोगों की बड़ी भूल की, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाया है। राहुल सिन्हा ने कहा-"अगर टाटा यहां फैक्ट्री शुरू कर देता, तो राज्य की पूरी तस्वीर बदल जाती। लाखों लोगों को नौकरी मिल सकती थी टाटा के जाने के बाद किसी अन्य उद्योग घराने ने यहां निवेश नहीं किया है। यानी, सिंगुर ने न केवल एक कारखाना बल्कि यहां के लोगों ने उनकी कृषि भूमि का अवसर भी गंवा दिया।''

बता दें कि टीएमसी सरकार और टाटा के बीच लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, किसानों को 2016 में उनकी जमीन वापस मिल गई। हालांकि, जमीन का इस्तेमाल कृषि के लिए नहीं किया जा सका।


CPI(M) के राज्यसभा सांसद बिकास रंजन भट्टाचार्य ने ममता बनर्जी के दावों का उल्लेख किया कि पहले उन्होंने कहा कि सिंगूर छोड़ने के पीछे वह नहीं थीं, बल्कि वामपंथी पार्टी की वजह से टाटा को जाना पड़ा। लेकिन दूसरे दिन उन्होंने टाटा मोटर्स के सिंगूर छोड़ने के लिए माकपा को जिम्मेदार ठहराया। वह मुश्किल से ही सच बोलती हैं। वह गंभीर झूठ बोलती हैं।"

बता दें कि इस साल अक्टूबर में सिलीगुड़ी में एक रैली के दौरान, बनर्जी ने कहा था कि उन्होंने उन लोगों को जमीन वापस कर दी थी जिन्हें जबरन अधिग्रहित किया गया था। ममता बनर्जी ने यह भी दावा किया था कि सीपीआई (एम) ने टाटा मोटर्स को भगाया था, उन्होंने नहीं।

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