जज साहब! मेरी मौत के बाद शव को पत्नी-बेटी और दामाद न छुएं, न अंतिम संस्कार करें

पीड़ित ने कोर्ट को बताया कि वह हार्ट का मरीज है। उसके परिवारवालों पत्नी, बेटी और दामाद ने उसको प्रताड़ित किया, उसके साथ क्रूरता वाला व्यवहार किया है। इसलिए उसके मरने के बाद उसके शरीर को उस व्यक्ति को सौंपा जाए जिसे वह अपना बेटा मानता है।

Dheerendra Gopal | Published : Sep 19, 2022 4:01 PM IST / Updated: Sep 19 2022, 09:33 PM IST

नई दिल्ली। हाईकोर्ट दिल्ली के सामने एक अजीबोगरीब केस सुनवाई के लिए पहुंचा है। एक व्यक्ति ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए यह गुहार लगाई है कि उसके मरने के बाद पत्नी, बेटी और दामाद से उसके अंतिम संस्कार का अधिकार छीन लिया जाए। पीड़ित ने बीमार रहने के दौरान उसकी सेवा करने वाले एक व्यक्ति को अंतिम संस्कार का अधिकार देने के लिए कहा है। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह केवल अपने जीवन के अधिकार, उचित उपचार और गरिमा के साथ-साथ अपने शव के निपटान के संबंध में अधिकारों का प्रयोग करने की मांग कर रहा है। कोर्ट अगले महीने अक्टूबर में याचिका की सुनवाई करेगा। 

क्या कहा गया है याचिका में?

दिल्ली के रहने वाले एक 56 वर्षीय व्यक्ति ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। वकील विशेश्वर श्रीवास्तव और मनोज कुमार गौतम के माध्यम से याचिकाकर्ता ने अपने जीवन के अधिकार, उचित उपचार और गरिमा के साथ अपने शव के निपटान के संबंध में अधिकारों का प्रयोग करने की मांग कर रहा है। याचिकाकर्ता यह सुनिश्चित करने का अधिकार चाहता है कि उसकी मौत के बाद उसे शव को उसकी पत्नी, बेटी या दामाद हाथ न लगाए न ही अंतिम संस्कार करें। यही नहीं पत्नी-बेटी-दामाद से जुड़ा कोई व्यक्ति या रिश्तेदार भी उसका अंतिम संस्कार न करे। पीड़ित ने कोर्ट को बताया कि वह हृदय रोग व कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित है। वह जब गंभीर रूप से बीमार था तो एक व्यक्ति ने उसकी सेवा की और उसके नित्यकर्म भी कराता रहा। हाईकोर्ट से उस व्यक्ति ने गुहार लगाते हुए उसे अपने अंतिम संस्कार करने का अधिकार देने को कहा है।

परिजन ने बहुत दु:ख दिया, प्रताड़ित किया

पीड़ित ने कोर्ट को बताया कि वह हार्ट का मरीज है। उसके परिवारवालों पत्नी, बेटी और दामाद ने उसको प्रताड़ित किया, उसके साथ क्रूरता वाला व्यवहार किया है। इसलिए उसके मरने के बाद उसके शरीर को उस व्यक्ति को सौंपा जाए जिसे वह अपना बेटा मानता है।

कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से मुर्दाघर की एसओपी मांगी

याचिकाकर्ता को सुनने के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा ने दिल्ली सरकार के वकील से मुर्दाघर में शवदाह के दौरान एसओपी के साथ राय मांगी है। एसओपी के अनुसार मृतक के रिश्तेदारों को शव के अंतिम संस्कार का अधिकार है। याचिकाकर्ता ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 उसे यह अधिकार प्रदान करता है कि वह जैसा चाहेगा उसके शव का अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए। इसलिए वह अपने मर्जी से उस व्यक्ति का चयन करना चाहता है जो उसका अंतिम संस्कार करे। मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर में होगी।

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