मनमोहन सिंह का वह इंटरव्यू, जब उन्होंने कृषि कानूनों की वकालत की थी

Published : Feb 08, 2021, 01:11 PM IST
मनमोहन सिंह का वह इंटरव्यू, जब उन्होंने कृषि कानूनों की वकालत की थी

सार

पीएम मोदी ने राज्यसभा में संबोधन के दौरान कृषि कानूनों के विरोध की चर्चा की। उन्होंने कहा, शरद पवार, कांग्रेस और हर सरकार ने कृषि सुधारों की वकालत की है कोई पीछे नहीं है। मैं हैरान हूं अचानक यूटर्न ले लिया। आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर इस सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को कहते कि बदलाव बहुत जरूरी है तो देश आगे बढ़ता। ऐसे में मनमोहन सिंह का साल 2004 के एक इंटरव्यू का कुछ अंश के बारे में बताते हैं जो उन्होंने वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिया था। इंटरव्यू में उन्होंने नए कृषि कानूनों की वकालत की थी।

नई दिल्ली. पीएम मोदी ने राज्यसभा में संबोधन के दौरान कृषि कानूनों के विरोध की चर्चा की। उन्होंने कहा, शरद पवार, कांग्रेस और हर सरकार ने कृषि सुधारों की वकालत की है कोई पीछे नहीं है। मैं हैरान हूं अचानक यूटर्न ले लिया। आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर इस सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को कहते कि बदलाव बहुत जरूरी है तो देश आगे बढ़ता। ऐसे में मनमोहन सिंह का साल 2004 के एक इंटरव्यू का कुछ अंश के बारे में बताते हैं जो उन्होंने वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिया था। इंटरव्यू में उन्होंने नए कृषि कानूनों की वकालत की थी।

इंटरव्यू में मनमोहन सिंह से पूछा गया था कि कृषि क्षेत्र को दोबारा पटरी पर लाने के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं? तब उन्होंने कहा था,  कृषि को निवेश के संसाधन नहीं मिले हैं। किसानों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। कृषि हमारे सकल घरेलू उत्पाद का 25% है, लेकिन हाल के वर्षों में विशेष रूप से पिछले पांच सालों में कृषि की वृद्धि दर में तेजी से गिरावट आई है। यह चिंता का विषय है। इसकी वजह यह है कि कृषि को वह संसाधन नहीं मिल रहे हैं, जो हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में इसके महत्व के अनुरूप हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की सीमाएं हैं, लेकिन फिर भी सिंचाई में सार्वजनिक निवेश आवश्यक है। हम सिंचाई में सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाएंगे।

"दूसरी हरित क्रांति की जरूरत है"  
उन्होंने कहा था, हमें दूसरी हरित क्रांति की जरूरत है। हमें भारत की रिसर्च एग्रीकल्चर सिस्टम और भारत की ऋण प्रणाली को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। हमें अपनी कृषि को और ज्यादा व्यवसायीकरण करने की जरूरत है। किसानों की कमर्शियल इनपुट्स (जहां ज्यादा व्यवसाय की गुंजाइश) तक पहुंच बढ़े। इसके अलावा क्रेडिट सिस्टम के आधुनिकीकरण की जरूरत है। हाल के वर्षों में कई दिक्कतों के कारण कृषि ऋण नहीं बढ़ा है। हम इन बाधाओं को दूर करेंगे। साथ ही हम व्यापार करने के लिए कई नए अवसर पैदा करेंगे।

मनमोहन सिंह से अगला सवाल किया गया कि आप दक्षता और लोगों को कृषि से जोड़े रखने के लिए क्या करेंगे? जवाब में मनमोहन सिंह ने कहा, कम से कम समय में कृषि में लेबर पावर (श्रम शक्ति) को बढ़ाने की काफी गुंजाइश है। हमें गांवों से शहरी क्षेत्रों में पलायन को रोकना होगा, क्योंकि इससे असंतुलन की स्थिति पैदा हो सकती है। लेकिन मेरा मानना है कि विशेष तौर पर पूर्वी भारत के लोगों में, वहां जहां, बेहतर उत्पादन की गुजांइश है, वहां क्रॉपिंग पैटर्न को देखते हुए कृषि में लेबर के लिए संतोषजनक स्थिति है।

पंजाब का जिक्र किया था
उन्होंने कहा था कि पंजाब जैसे राज्यों के अनुभव जहां पहली बार कृषि क्रांति हुई, यह बताता है कि खेती में लेबर के डायरेक्ट रिक्रूटमेंट में कमी आएगी, वहीं ग्रामीण में और आसपास के क्षेत्रों में आजीविका के लिए पर्याप्त अवसर मिल सकते हैं, जैसे- कंट्रक्शन एक्टिविटी। यदि कृषि अधिक समृद्ध हो जाती है और किसान कृषि उपकरणों में, बेहतर आवास में निवेश करते हैं तो इससे नए अवसर पैदा होंगे। इसलिए अल्पावधि में ग्रामीण उद्यमों पर जोर दिया जाएगा। 
ये विकेंद्रीकृत उद्यम हैं। इन गतिविधियों में कृषि से जुड़े सरप्लस मैनपावर को समाहित करने की काफी गुंजाइश है।

"इसमें हम महानगरीय क्षेत्रों में बढ़ रही भीड़ को समय से पहले रोक पाएंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत ज्यादा निवेश किए बिना नए रोजगारों को पैदा कर पाएंगे। हमें औद्योगिकीकरण के साथ बने रहना होगा और यह औद्योगीकरण श्रम के अनुकूल होना चाहिए। साथ ही पर्यावरण के अनुकूल भी होना चाहिए।"  

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