MCD की सबसे शक्तिशाली स्टैंडिंग कमेटी में AAP और BJP को बराबर सीटें: HC के आदेश के बाद अवैध मतपत्र की हुई गिनती, दोनों को 3-3 सीटें

23 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मेयर के फिर से चुनाव कराने के फैसले को रद्द कर दिया और उन्हें 24 फरवरी के चुनावों के परिणामों की घोषणा करने का निर्देश दिया।

MCD Standing committee election result: दिल्ली नगर निगम की सत्ता को करीब डेढ़ दशक के बाद बीजेपी से छीन चुकी आम आदमी पार्टी को इसके सबसे शक्तिशाली स्टैंडिंग कमेटी में बीजेपी के साथ मिलकर काम करना होगा। दरअसल, कमेटी की छह सीटों पर हुए चुनाव में दोनों दलों ने तीन-तीन सीटों पर जीत हासिल की है। फरवरी महीने में हुए चुनाव का परिणाम हाईकोर्ट के आदेश के बाद घोषित किया गया। स्टैंडिंग कमेटी, दिल्ली नगर निगम की निर्णय लेने वाली टॉप बॉडी है।

एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी में होते हैं 18 सदस्य

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दिल्ली एमसीडी की स्थायी समिति में 18 सदस्य होते हैं। यह एमसीडी की सबसे शक्तिशाली कमेटी होती है जो महत्वपूर्ण निर्णय लेती है। इस कमेटी के छह सदस्य पार्षदों के द्वारा चुने जाते हैं। इसके अलावा नागरिक निकाय के 12 क्षेत्रों में से प्रत्येक एक प्रतिनिधि इसके लिए नामित किए जाते है।

एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी में इस बार कौन-कौन जीता चुनाव?

दिल्ली नगर निगम की सबसे शक्तिशाली कमेटी के लिए हुए छह सीटों पर चुनाव में आप के तीन और बीजेपी के तीन सदस्य चुने गए हैं। AAP के सदस्य रमिंदर कौर, मोहिनी जिनवाल और अमिल मलिक चुनाव जीते हैं तो बीजेपी की ओर से कमलजीत सहरावत, पंकज लूथरा और गजेंद्र दराल चुनाव में जीत हासिल किए हैं। आम आदमी पार्टी ने चार सीटों पर जीत हासिल करके इसमें बहुमत हासिल करने के लिए चौथे उम्मीदवार को मैदान में उतारा था लेकिन वह चुनाव हार गए।

क्यों हुई परिणाम घोषित करने में इतने महीनों की देरी?

दरअसल, 24 फरवरी को दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होकर परिणाम घोषित किए जाने थे लेकिन एक वोट इनवैलिड करने के बाद विवाद काफी बढ़ गया। दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय ने एक वोट अवैध घोषित किए जाने के बाद 27 फरवरी को नए सिरे से चुनाव को घोषित कर दिया। हालांकि, इस अवैध मत की वजह से पूरा सदन अखाड़ा बन गया था। सरेआम मारपीट की गई थी।

बीजेपी पार्षद चले गए थे हाईकोर्ट

मतपत्र को अवैध किए जाने के खिलाफ बीजेपी पार्षद शिखा राय और कमलजीत सहरावत ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मेयर के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बीजेपी पार्षदों के पक्ष में फैसला सुना और एक वोट को अवैध घोषित किए जाने के फैसले को कानूनी रूप से गलत माना। इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि इनवैलिड किए गए मतपत्र को गिना जाए। 23 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने मेयर के फिर से चुनाव कराने के फैसले को रद्द करने के साथ 24 फरवरी के चुनाव परिणाम को घोषित करने का आदेश दिया।

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