'मिशन-2024' को साधने शनिवार को संघ की दिल्ली में खास बैठक, किसान आंदोलन सहित कई मुद्दों पर होगा मंथन

दो साल बाद होने जा रहे लोकसभा चुनाव से ठीक पहले संघ और संगठन युद्धस्तर पर विचार-मंथन में जुट गया है। इसकी बड़ी शुरुआत शनिवार से होने जा रही है। नई दिल्ली में संघ और संगठन से जुड़ा शीर्ष नेतृत्व इस बैठक में शामिल होगा। संघ प्रमुख मोहन भागवत 3 दिनों तक दिल्ली में रहकर कई मीटिंग लेंगे।

नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार की साख पर फर्क पड़ा है। विपक्ष लगातार हमलावर बना हुआ है। चूंकि 2024 में आम चुनाव होने हैं, इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) और संगठन तैयारी में जुट गया है। शनिवार को नई दिल्ली में संघ और संगठन के शीर्ष नेतृत्व का जमावड़ा रहेगा। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले संघ और संगठन युद्धस्तर पर विचार-मंथन की शुरुआत करने जा रहा है। इसे धीरे-धीरे धरातल पर लाया जाएगा।

तीन दिनों तक दिल्ली में रहेंगे संघ प्रमुख
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर के मुताबिक, संघ प्रमुख मोहन भागवत तीन दिनों तक दिल्ली में रहेंगे। वे अलग-अलग कई बैठकें करेंगे। शनिवार को संघ के टॉप-10 पदाधिकारियों के बीच बैठक होगी। इसमें भाजपा के कुछ बड़े पदाधिकारी भी शामिल होंगे। बैठक में दत्तात्रेय होसबले, कृष्ण गोपाल, सुरेश सोनी और भाजपा के केंद्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष के भी मौजूद रहने की संभावना है।

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इन मुद्दों पर मंथन होगा
कोरोनाकाल में अनाथ हुए बच्चों की परवरिश को लेकर संघ आगे आया है। संघ ने 5000 बच्चों की पढ़ाई और परवरिश का जिम्मा उठाया है। इस व्यवस्था को सुचारू रखने बैठक में चर्चा हो सकती है।

संघ भाजपा शासित राज्यों में सरकारी योजनाओं के गांवों तक सही क्रियान्वयन को लेकर भी चिंतित है। खासकर स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की दिशा में जोर दिया जा रहा है।

हाल में बाबा रामदेव के विवादास्पद बयान से एलोपैथी और आयुर्वेद को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया। दिल्ली की बैठक में संघ इसका भी कोई समाधान निकाल सकता है।

अयोध्या में बन रहे राममंदिर से जुड़े विषय पर भी चर्चा हो सकती है। संघ चाहता है कि इस मामले में निजी एनजीओ के अलावा संघ के आनुसांगिक संगठनों जैसे-विहिप आदि से मदद ली जा सकती है। सामाजिक सरोकार से जुड़े मामलों में विहिप को देशभर में भंडारा चलाने को कहा जा सकता है।

ये भी बड़े मुद्दे हैं
अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। यूपी भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। पंचायत चुनाव में भाजपा का निराशाजनक प्रदर्शन भी बैठक में चर्चा का विषय बन सकता है।

हाल में बंगाल में हुए चुनाव में भाजपा की सरकार नहीं बन पाना और वहां हिंदुओं पर बढ़ते हमले भी बैठक की चर्चा का विषय हो सकते हैं।

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 6 महीने से चले आ रहे किसानों के आंदोलन को लेकर भी संघ कुछ समाधान सुझा सकता है। खासकर पंजाब में भी विधानसभा आने वाले हैं।  

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