मैं मरना चाहता था, पर मां पिता से मिलने के बाद अब... निर्भया के दोषी विनय ने राष्ट्रपति को यूं बताया दर्द

दोषी विनय शर्मा ने बुधवार को राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की है। चारों दोषियों में से यह दूसरी दया याचिका है, जो राष्ट्रपति के पास लगाई गई है। जिसमें दोषी विनय ने राष्ट्रपति से मिलने की गुहार लगाते हुए अपनी दर्द भरी चिठ्ठी लिखी है। 

नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप और मर्डर के दोषियों को एक दिन बाद यानी 1 फरवरी की अल सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाना है। इसको लेकर तैयारियों भी अपने अंतिम चरण में हैं। वहीं, निर्भया के दोषी मौत से बचने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। जिसमें तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। इसी क्रम में दोषी विनय शर्मा ने बुधवार को राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की है। चारों दोषियों में से यह दूसरी दया याचिका है, जो राष्ट्रपति के पास लगाई गई है। इससे पहले मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं।

विनय ने राष्ट्रपति को बताया दर्द 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोषी विनय ने राष्ट्रपति को भेजी दया याचिका में एक और अर्जी भी लिखी है। जिसमें वह अपने वकील एपी सिंह के जरिये अपनी आपबीती राष्ट्रपति को बताना चाहता है। विनय ने अपनी अर्जी में कहा कि वह राष्ट्रपति को बताना चाहता है कि जेल में रहने के दौरान उसका कितना मानसिक उत्पीड़न हुआ है। विनय ने राष्ट्रपति से गुजारिश की है कि वो जो भी समय उचित हो वो बता दें, ताकि उसके वकील एपी सिंह उसका पक्ष मौखिक तौर पर राष्ट्रपति के समक्ष रख सकें। 

साथ ही विनय शर्मा ने राष्ट्रपति के समक्ष दायर अपनी दया याचिका में अपनी मां और पिताजी से मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि वह जीना नहीं चाहता था, लेकिन जब उससे उनके मां-बाप मिलने आए और उन्होंने कहा कि बेटा तुमको देखकर हम जिंदा हैं तब से मैंने मरने का खयाल छोड़ दिया है। विनय ने दया याचिका में कहा कि मेरे पिताजी और मां ने कहा कि तू हमारे लिए जिंदा रह। 

टलेगी फांसी ? 

वहीं, दोषी विनय शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति के पास पहुंचने से अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब 1 फरवरी को भी निर्भया के दोषियों को फांसी नहीं हो पाएगी? इसके कयास इसलिए लगाए जा रहे हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हिसाब से दया याचिका खारिज होने के बाद दोषी को 14 दिनों का वक्त दिया जाता है। 

22 जनवरी को दी जानी थी फांसी 

इससे पहले निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जानी थी जो टल गई थी। दिल्ली जेल नियमों के अनुसार एक ही अपराध के चारों दोषियों में से किसी को भी तब तक फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता जब तक कि अंतिम दोषी दया याचिका सहित सभी कानूनी विकल्प का प्रयोग नहीं कर लेता। 

क्या है पूरा मामला ?

दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। 

जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया।बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।

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