भ्रामक विज्ञापन को लेकर पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- एक करोड़ का जु्र्माना ठोकेंगे, बाबा रामदेव ने मांगी माफी

सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव को पतंजलि की ओर से भ्रामक प्रचार करने के मामले में फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे प्रचार बंद न किए तो एक करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा। बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी है।

Yatish Srivastava | Published : Apr 2, 2024 9:14 AM IST

नई दिल्ली। पतंजलि के विज्ञापन के दौरान भ्रामक प्रचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव को कड़ी फटकार लगाई है। यह भी कहा है कि यदि ये भ्रामक प्रचार बंद नहीं किए गए तो पतंजलि पर एक करोड़ का जुर्मान ठोंक दिया जाएगा। इसे लेकर बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी भी मांगी है और आगे से शिकायत का मौका न देने की बात कही है। कोर्ट ने बाबा रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण को सप्ताह भर में एफिडेविट जमा करने का अंतिम मौका दिया है। आदेश पर अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होनी है।

एलोपैथिक दवाओं को लेकर भ्रामक प्रचार पर लगाई फटकार
कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों के प्रचार के मामले में बाबा रामदेव पर शिकंजा कसते हुए कड़ी चेतावनी दी है। कोर्ट ने कहा है कि पतंजलि आयुर्वेद कंपनी की ओर से अपने विज्ञापनों में ऐलोपैथिक दवाओं को लेकर गलत प्रचार करने के मामले में कोर्ट ने  बाबा रामदेव की कंपनी को सख्त चेतावनी जारी की है। यह भी कहा है यदि ऐसे प्रचार बंद न किए तो मजबूरन एक करोड़ का जुर्माना लगाना पड़ेगा।

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न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र की संयुक्त पीठ में पतंजलि की ओर से भ्रामक प्रचार के मामले में कोर्ट ने कहा है कि यदि बाबा रामदेव के उत्पादों की ओर से भ्रामक प्रचार बंद न किए गए तो उनपर भारी-भरकम जुर्माना लागया जाना तय है।

भ्रामक विज्ञापन प्रचार से बचने की सलाह
कोर्ट ने बाबा रामदेव को भ्रामक विज्ञापनों के प्रचार से बचने की सलाह दी है। कहा है ऐसे विज्ञापन न करें जिससे दूसरी कंपनियों के उत्पादों को दिक्कत हो। अपनी कंपनी के प्रचार पर रोक नहीं है।

इसे ऐलोपैथिक और आयुर्वेद का विवाद न बनाएं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पतंजलि आयुर्वेदिक उत्पाद ऐसे प्रचार न करे कि यह ऐलोपैथिक और आयुर्वेद चिकित्सा का विवाद बन जाए। इसके अलावा मीडिया में ऐसे स्टेटमेंट भी न दिए जाएं जिससे विवाद खड़ा हो। कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ये बात कही थी।

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