Reservation after privatisation: सरकार ने संसद में बताया, सरकारी उपक्रमों के निजीकरण के बाद आरक्षण क्या होगा?

सरकार ने लोकसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 को पेश कर दिया। लोकसभा की कार्यवाही के समय एक सवाल भी किया गया कि क्या कंपनियों के निजीकरण के बाद भी आरक्षण बना रहेगा?

Asianet News Hindi | Published : Aug 9, 2021 3:10 PM IST

नई दिल्ली। सरकारी उपक्रमों के निजीकरण के बाद आरक्षण (reservation after privatisation) खत्म हो जाएगा? सरकार ने लोकसभा (Loksabha) की कार्रवाई को स्थगित किए जाने के पहले इस सवाल के जवाब में बहुत ही चौकाने वाली बात कही है। दरअसल, सोमवार को सत्र (Monsoon Session) के दौरान सरकार ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जा रहे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 को पेश किया है।

हुआ यह सवाल तो आया सरकार का यह जवाब

सोमवार को सरकार ने लोकसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) (OBC) से संबंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 को पेश कर दिया। लोकसभा की कार्यवाही के समय एक सवाल भी किया गया कि क्या कंपनियों के निजीकरण के बाद भी आरक्षण बना रहेगा? इस सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा कि रिजर्व कैटेगरी के लोग सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के रोजगार में अपना आरक्षण खो देंगे। इन पीएसयू में वह शामिल हैं जिसे सरकार अपनी प्राइवेटाइजेशन नीति के तहत निजीकरण करने पर विचार कर रही है। 

विपक्षी नेताओं ने किया समर्थन

विपक्ष ने भी इस बिल का समर्थन किया। कांग्रेस नेता मल्लिार्जुन खड़गे ने कहा कि सभी विपक्षी पार्टियों के नेता इस बिल के साथ हैं। खड़गे ने कहा-बाकी के मुद्दे अपनी जगह हैं, लेकिन ये मुद्दा पिछड़े वर्ग के लोगों और देश के हित में है। हम सबका फर्ज है कि गरीबों और पिछड़ों के हित में जो कानून आता है हम उसका समर्थन करें।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाया जा रहा संशोधन विधेयक

हाल में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि संविधान में 2018 के संशोधन के बाद सिर्फ केंद्र ही सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) को अधिसूचित कर सकता है। जबकि राज्यों के पास ये अधिकार नहीं थे। संशोधन विधेयक के बाद राज्यों को ओबीसी वर्ग में अपनी जरूरतों के अनुसार जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार मिल जाएगा। 

संशोधन विधेयक के बाद राज्य अपने हिसाब से कर सकेंगे आरक्षण

संसद में संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366(26) सी के संशोधन पर अगर मुहर लग जाती है तो इसके बाद राज्यों के पास ओबीसी सूची में अपनी मर्जी से जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार होगा। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, हरियाणा में जाट समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल होने का मौका मिल सकता है। लंबे समय से ये जातियां आरक्षण की मांग कर रही हैं।

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