Monsoon Session: लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत से पारित हुआ ओबीसी आरक्षण बिल

लोकसभा (Monsoon Session) में विपक्षी दलों ने काले कपड़े पहनकर सरकार का विरोध किया। इस बीच आज OBC रिजर्वेशन (OBC reservation bill) पास हो गया।

Asianet News Hindi | Published : Aug 10, 2021 6:35 AM IST / Updated: Aug 10 2021, 09:41 PM IST

नई दिल्ली. लोकसभा से संविधान (127वां)  संशोधन बिल, 2021पारित हो गया है। इस बिल के पक्ष में 385 वोट पड़े, जबकि विरोध में कोई वोट नहीं पड़ा। यानी कम से कम दो-तिहाई बहुमत से बिल पारित हो गया। बता दें कि इस बिल का विपक्ष भी समर्थन करता आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को इस संबंध में आदेश देते हुए कहा था कि राज्यों को सामाजिक और शिक्षा के स्तर पर पिछड़े लोगों को नौकरियों और एडमिशन में आरक्षण देने का अधिकार नहीं है। इस फैसले से महाराष्ट्र में मराठों को OBC में शामिल करने पर रोक लग गई थी। इसलिए इस बिल में संशोधन जरूरी था। बता दें कि संसद के मानसूत्र सत्र का आज चौथे हफ्ते का दूसरा दिन है। इस बीच कृषि कानून और पेगासस मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा चलता रहा। मानसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने संसद के बाहर काले कपड़े पहनकर सरकार के खिलाफ विरोध जताया। इन पार्टियों का कहना है कि संसद में उनकी आवाज को दबाया जा रहा है।

 

 

सोमवार को पेश किया गया था
सोमवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने लोकसभा में संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया था। इस बिल के जरिये पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए राज्यों की शक्ति को बहाल करना है। इस बिल में संशोधन की मांग क्षेत्रीय दलों के साथ सत्ताधारी पार्टी के ओबीसी नेता लंबे समय से करते आ रहे थे। विपक्ष ने भी इस बिल का समर्थन किया है।

विपक्षी नेताओं ने किया समर्थन
विपक्ष ने भी इस बिल का समर्थन किया है। कांग्रेस नेता मल्लिार्जुन खड़गे ने कहा कि सभी विपक्षी पार्टियों के नेता इस बिल के साथ हैं। खड़गे ने कहा-बाकी के मुद्दे अपनी जगह हैं, लेकिन ये मुद्दा पिछड़े वर्ग के लोगों और देश के हित में है। हम सबका फर्ज है कि गरीबों और पिछड़ों के हित में जो कानून आता है हम उसका समर्थन करें।

बिल पर बोले ये नेता
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने कहा-आप किसी को भी आरक्षण देते हैं, तो सबसे पहले उन्हें पिछड़ा घोषित करना पड़ता है। ये बिल उसके संदर्भ में है। पिछड़ा घोषित करने का राज्यों का जो अधिकार चला गया था वो अब वापस मिल रहा है। अब राज्यों की जिम्मेदारी है, उनको करना पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाया जा रहा संशोधन विधेयक
हाल में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान में 2018 के संशोधन के बाद सिर्फ केंद्र ही सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) को अधिसूचित कर सकता है। जबकि राज्यों के पास ये अधिकार नहीं थे। संशोधन विधेयक के बाद राज्यों को ओबीसी वर्ग में अपनी जरूरतों के अनुसार जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार मिल जाएगा। इसका लाभ हरियाणा में जाट, महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय मिलेगा। इन्हें OBC में शामिल किया जा सकेगा।

आरक्षण को लेकर दूसरा वर्ग नाराज है
हाल में केंद्र सरकार ने मेडिकल एजुकेशन (OBC Reservation, Reservation in Medical courses) में ऑल इंडिया कोटे के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग(OBC) के छात्रों को 27% और ईडब्ल्यूएस(EWS) वर्ग के लिए 10% आरक्षण देने का फैसला किया था। इसे लेकर सोशल मीडिया पर जबर्दस्त विरोध देखने को मिला। हालांकि प्रधानमंत्री ने इसे एक ऐतिहासिक फैसला बताया था। कहा गया कि पिछले कई सालों से मेडिकल की ऑल इंडिया सीटों(15 प्रतिशत) पर ओबीसी आरक्षण का मामला लटका हुआ था। मद्रास हाईकोर्ट ने इन सीटों पर ओबीसी आरक्षण को सुनिश्चित करने एक कमेटी बनाई थी। लेकिन बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देकर रुकवा दिया गया था। 

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