कोरोना वायरस: लॉकडाउन से जुड़ी समस्याओं ने भी ली 300 से अधिक जान, अध्ययन में हुआ खुलासा

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन के दौरान मौत के 300 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं जो कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़े नहीं हैं, लेकिन इससे जुड़ी अन्य समस्याएं इनका कारण है।  शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में यह खुलासा किया है। 

Asianet News Hindi | Published : May 8, 2020 12:53 PM IST

नई दिल्ली. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन के दौरान मौत के 300 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं जो कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़े नहीं हैं, लेकिन इससे जुड़ी अन्य समस्याएं इनका कारण है।  शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में यह खुलासा किया है। अध्ययन में दो मई तक हुए मौत के मामलों को ही शामिल किया गया है।  

14 प्रवासी मजदूरों की मौत
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में शुक्रवार को एक मालगाड़ी की चपेट में आने के बाद 14 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई। जालना से भुसावल की ओर पैदल जा रहे मजदूर मध्य प्रदेश लौट रहे थे।

19 मार्च से 2 मई तक 338 मौतें हुईं
शोधकर्ताओं के समूह में पब्लिक इंटरेस्ट टेक्नोलॉजिस्ट तेजेश जीएन, सामाजिक कार्यकर्ता कनिका शर्मा और जिंदल ग्लोबल स्कूल ऑफ लॉ में सहायक प्रोफेसर अमन शामिल हैं। इस समूह का दावा है कि 19 मार्च से ले कर दो मई के बीच 338 मौतें हुईं है, जो लॉकडाउन से जुड़ी हुई हैं।

अध्ययन में 80 लोगों के खुदकुशी का दावा
अध्ययन के अनुसार आंकडें बताते हैं कि 80 लोगों ने अकेलेपन से घबरा कर और संक्रमित पाए जाने के भय से खुदकुशी कर ली। इसके बाद मरने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा प्रवासी मजदूरों का है। बंद के दौरान जब ये अपने घरों को लौट रहे थे तो सड़क दुर्घटनाओं में 51 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई। विड्रॉल सिम्टम्स (शराब नहीं मिलने से) से 45 लोगों की मौत हो गई और भूख एवं आर्थिक तंगी से 36 लोगों की जान गई।

संक्रमण के डर से लोगों ने की आत्महत्याएं
शोधकर्ताओं ने एक बयान में कहा, संक्रमण से डर से, अकेलेपन से घबरा कर, आने जाने की मनाही से बड़ी संख्या में लोगों ने आत्महत्याएं की हैं। उदाहरण के तौर पर विड्रॉल सिम्टम्स से ठीक तरह से निपट नहीं पाने से 7 लोगों ने आफ्टर शेव लोशन अथवा सेनेटाइजर पी लिया, जिससे उनकी मौत हो गई।  

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