नगालैंड फायरिंग मामले में सेना ने राज्य की जांच टीम को उन सैनिकों का बयान दर्ज करने अनुमति दी है, जो इस घटना में शामिल थे। बता दें कि नागालैंड (Nagaland) के मोन जिले में चार दिसंबर और उसके अगले दिन उग्रवाद विरोधी अभियान और जवाबी हिंसा में कम से कम 14 आम नागरिक की मौत हो गई थी।
कोहिमा : इंडियन आर्मी (Indian Army) ने नगालैंड (Nagaland) के विशेष जांच दल (SIT) को नगालैंड फायरिंग (Nagaland Firing) में शामिल सैनिकों के बयान रिकॉर्ड करने की अनुमति दी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इसी हफ्ते नगालैंड एसआईटी 21 पैरा स्पेशल फोर्स के सैनिकों के बयान रिकॉर्ड करने का काम पूरा कर सकती है। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि एसआईटी सैनिकों से पूछताछ करेगी या केवल तैयार बयान ही जमा करेगी, क्योंकि नगालैंड में आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) लागू है, जो केंद्र की अनुमति के बिना सुरक्षाबलों पर किसी भी तरह का अभियोग चलाने से संरक्षण प्रदान करता है।
जांच में तेजी लाने के लिए सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में तेजी लाने के लिए नगालैंड एसआईटी को आठ सदस्यों से बढ़ाकर 22 अधिकारियों तक कर दिया गया है। बड़ी टीम में भारतीय पुलिस सेवा के पांच अधिकारी शामिल हैं। एसआईटी को सात टीमों में बांटा गया है।
इससे पहले रविवार को सेना ने कहा था कि नगालैंड के मोन जिले में हुई फायरिंग की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। सेना ने यह आश्वासन भी दिया था कि इस मामले में सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के मकसद से कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा सेना ने नगालैंड के लोगों से धैर्य रखने और सेना की जांच के निष्कर्षों का इंतजार करने का आग्रह किया था।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि नागालैंड (Nagaland) के मोन जिले में चार दिसंबर और उसके अगले दिन उग्रवाद विरोधी अभियान और जवाबी हिंसा में कम से कम 14 नागरिक मारे गए और एक सैनिक भी मारा गया था। सुरक्षा बलों के एनकाउंटर में आम नागरिकों के मारे जाने के बाद पूरे देश में सवाल उठने लगे थे। संसद में गृह मंत्री को इस नरसंहार पर जवाब देना पड़ा था। इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (court of inquiry) बैठा दी गई है। इस इंक्वायरी का इंचार्ज मेजर जनरल रैंक (Major General rank) के अधिकारी को बनाया गया है। जांच अधिकारी, नॉर्थईस्ट सेक्टर में तैनात हैं।
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