Nagaland Firing : एक साथ उठीं 14 अर्थियां, परिजन बोले- अब बच्चों को कौन पालेगा, कांग्रेस ने बनाई जांच कमेटी

नागालैंड (Nagaland) के ओटिंग से एक साथ 12 लोगों की अर्थियां उठीं तो आंखों में आंसू और मन में आक्रोश था। परिजनों का कहना था कि इनके बच्चों को अब कौन पालेगा।

कोहिमा। नागालैंड में रविवार को सेना की फायरिंग (Nagaland Firing) से मारे गए 14 जवानों के परिजन इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं। उनका आरोप है कि सेना ने बेकसूरों को मारकर कई परिवार तबाह कर दिए हैं। जिन लोगों की मौत हुई, उनमें से 12 ओटिंग गांव के थे और बाकी दो जकफांग के। ओटिंग से एक साथ 12 लोगों की अर्थियां उठीं तो आंखों में आंसू और मन में आक्रोश था। परिजनों का कहना था कि इनके बच्चों को अब कौन पालेगा। 

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि घटना के बाद जवानों ने मारे गए लोगों के शवों को बैग से ढंक दिया था। वे पूरे मामले को दबाने की कोशिश में लगे थे, उसी वक्त ग्रामीण पहुंच गए। खून के निशान देखकर ग्रामीण आक्रोशित हो गए और उनकी जवानों से झड़प हुई। इस घटना के वीडियो भी सामने आए हैं। इस बीच, घटना की जांच के लिए कांग्रेस ने 4 सदस्यीय टीम का गठन किया है। ये टीम नागालैंड का दौरा करेगी और राज्य के मोन जिले में नागरिकों व हिंसा से जुड़ी घटनाओं से संबंधित मामलों पर रिपोर्ट तैयार करेगी। 4 सदस्यीय टीम एक हफ्ते के भीतर सेनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

ग्रामीण बोले-  दाेषी जवानों को तुरंत सजा मिले
घटना के बाद से ही मोन जिले में हालात तनावपूर्ण हैं। यहां धारा 144 लागू है और प्रदर्शन हो रहे हैं। रविवार को ग्रामीणों ने सेना की असम यूनिट के कार्यालय में तोड़फोड़ की थी। जिन मजदूरों को उग्रवादी समझकर मारा गया है, वे कोल माइंस में काम करते थे। मजदूरों के परिजनों का कहना है कि इस ऑपरेशन में सेना के जो जवान शामिल थे, उन्हें तुरंत सजा दी जाए। साथ ही जिस कमांडिंग ऑफिसर के आदेश पर यह सब हुआ, उसका नाम भी बताया जाए और उसे क्या सजा दी जा रही है, यह बताया जाए। दूसरी मांग- AFSPA हटाया जाए। लोगों का कहना है कि इस एक्ट के चलते हम असुरक्षित महसूस करते हैं। इन दिनों तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन शनिवार को हुई घटना के बाद हर कोई डरा हुआ है।

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सेना की फायरिंग में हुई 14 मौतें, हिंसक झड़प में एक जवान भी शहीद 
नागालैंड के मोन जिले में यह घटना शनिवार शाम की है। सेना के सूत्रों के मुताबिक उस दिन खुफिया इनपुट मिला था कि उग्रवादियों का इलाके में मूवमेंट है। इस पर सेना सर्च ऑपरेशन चला रही थी। उधर, कुछ मजदूर एक पिकअप वाहन में अपने गांव लौट रहे थे। इसी दौरान सेना ने उन्हें उग्रवादी समझकर फायरिंग कर दी। घटना के बाद स्थानीय लोगों की सेना से झड़प हो गई, जिसमें कुल 13 सिविलियंस और 1 आर्मी जवान की मौत हो गई। घटना के बाद लोगों ने सेना की दो गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। घटना में रविवार को भी एक मौत हुई। इस तरह घटना में कुल 15 लोगों की मौत हो गई।  घटना के बाद से मोन शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है। 

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