संसद भवन पर बना अशोक चिह्न का वजन 16 हजार Kg., 100 कारीगरों को बनाने में लगे 6 महीने, जानें और रोचक फैक्ट

संसद भवन पर लगा राष्ट्रीय चिह्न अनूठा है। 6.5 मीटर लंबे और 16 हजार किलोग्राम भारी इस राष्ट्रीय चिह्न को बनाने में 100 से अधिक कारीगरों को 6 महीने से अधिक समय लगा। इसे शुद्ध कांस्य से बनाया गया है।

 

 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सोमवार को नए संसद भवन की छत पर बने राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न का अनावरण किया। यह अपने आप में बेहद अनूठा है। 100 से अधिक कारीगरों को इसे बनाने में 6 महीन से अधिक  समय लगा है। 

अशोक चिह्न की लंबाई 6.5 मीटर है। इसका वजन 16 हजार किलोग्राम है। इसे भारत के कारीगरों ने हाथ से बनाया है। इसे बहुत अधिक शुद्ध कांस्य (Bronze) से बनाया गया है। सामग्री और शिल्प कौशल की दृष्टि से दूसरी ऐसी कोई संरचना नहीं है। देश के विभिन्न हिस्सों के 100 से अधिक कारीगरों ने इसे बनाया है। डिजाइन बनाने से लेकर क्राफ्टिंग और कास्टिंग तक कारीगरों को 6 महीने से अधिक समय लगा। ग्राउंड लेवल से 32 मीटर ऊपर प्रतीक चिह्न को स्थापित करना भी एक चुनौती थी।
 
अशोक स्तंभ से लिया गया है राष्ट्रीय चिह्न
भारत के राष्ट्रीय चिह्न को सम्राट अशोक की राजधानी सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। इसमें चार शेर गोलाई में एक-दूसरी की ओर पीठ कर बैठे हुए हैं। इसके गोलाकार बेस पर हाथी, घोड़े, बैल और धर्म चक्र बने हैं। 

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नए संसद भवन पर लगने वाले अशोक स्तंभ को बनाने के लिए सबसे पहले कम्प्यूटर ग्राफिक स्केच तैयार किया गया। इसके आधार पर क्ले मॉडल बनाया गया। क्ले मॉडल के सक्षम अधिकारी से स्वीकृत होने के बाद कारीगरों ने कांस्य की मूर्ति बनाना शुरू किया। इसके लिए मोम की मदद से ढलाई की प्रक्रिया अपनाई गई। अंत में प्रतिमा को पॉलिश कर इसकी सुंदरता को उभारा गया। इसपर किसी पेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

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