NEET की परीक्षा देने आई छात्राओं को किया गया था underwear उतारने को मजबूर, अब मिली राहत वाली खबर

जुलाई में हुई NEET (National Eligibility Entrance Test) की परीक्षा देने आई कुछ छात्राओं को अंडरवियर उतारने के लिए मजबूर किया गया था। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने कहा है कि वे छात्राएं 4 सितंबर को फिर से परीक्षा दे सकती हैं। 
 

नई दिल्ली। जुलाई में NEET (National Eligibility Entrance Test) की परीक्षा देने आई छात्राओं को परीक्षा केंद्र में प्रवेश से पहले अंडरवियर उतारने के लिए मजबूर किया गया था। इसके चलते छात्राओं को काफी परेशानी हुई थी और वे अच्छी तरह परीक्षा नहीं दे पाईं थी। ऐसी छात्राओं के लिए राहत भरी खबर आई है। उन्हें फिर से परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया गया है।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने कहा है कि वह ऐसी छात्राओं के लिए फिर से NEET की परीक्षा आयोजित करेगा, जिन्हें जुलाई में हुई परीक्षा के दौरान अंडरवियर उतारने के लिए मजबूर किया गया था। छात्राओं को विकल्प दिया गया है कि वे 4 सितंबर को फिर से परीक्षा दे सकती हैं। एनटीए ने इस संबंध में छात्राओं को ईमेल भेजा है। 

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दरअसल, केरल के कोल्लम जिले में एक परीक्षा केंद्र के बाहर एक छात्रा को NEET की परीक्षा देने से रोक दिया गया था। परीक्षा केंद्र से बाहर उससे कहा गया था कि वह अपना अंडरवियर उतारे तभी केंद्र में प्रवेश मिलेगा। इस घटना ने बड़े विवाद को जन्म दिया था। 

ब्रा के मेटल हुक्स को बताया गया था खतरा
जुलाई में एक व्यक्ति ने कोट्टारकरा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने कहा था कि उसकी बेटी सहित नीट की परीक्षा देने आई कई छात्राओं को चथमंगलम में परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने से पहले ब्रा उतारने के लिए कहा गया। रिपोर्ट्स के अनुसार छात्राओं को परीक्षा केंद्र में प्रवेश से पहले अपने इनरवियर उतारने के लिए विवश किया गया। ब्रा के मेटल हुक्स को सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया था।

पुलिस ने सात आरोपियों को किया था गिरफ्तार
छात्रा के पिता की शिकायत पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 354 और 509 के तहत एफआईआर दर्ज किया था। पुलिस ने सात आरोपियों को इस मामले में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार हुए लोगों में दो कॉलेज के कर्मचारी थे। वे नीट परीक्षा केंद्र पर मौजूद थे। बाद में सभी आरोपियों को जमानत मिल गई थी। 

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इस घटना के बाद केरल में विरोध प्रदर्शन हुए थे। मानवाधिकार आयोग ने कोल्लम ग्रामीण एसपी को मामले की जांच करने और 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी घटना में शामिल कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। एनटीए ने आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया था। इस समिति ने चार सप्ताह में रिपोर्ट दी।

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