सार

सीनियर लीडर गुलाम नबी आजाद(Ghulam Nabi Azad resigns) के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी से पिछले कुछ समय में कई दिग्गज नेता किनारा कर चुके हैं। पढ़िए अब तक कितने दिग्गज नेता छोड़ चुके हैं कांग्रेस...

नई दिल्ली. देश की सबसे पुरानी राजनीति पार्टी कांग्रेस(grand old party) के लिए फिलहाल 'अच्छे दिन' नहीं चल रहे हैं। एक के बाद एक कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। सीनियर लीडर गुलाम नबी आजाद(Ghulam Nabi Azad resigns) के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। पिछले कुछ समय में कई दिग्गज नेता किनारा कर चुके हैं। यह ऐसे समय में हो रहा है, जब गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट होने लगी है। वहीं, 2 साल बाद यानी 2024 में आम चुनाव होने हैं। वहीं, पार्टी में जान फूंकने राहुल गांधी ने 7 सितंबर से कन्याकुमारी से कश्मीर तक 148 दिवसीय अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम भारत जोड़ो यात्रा(Congress Bharat Jodo Yatra) शुरू करने का ऐलान किया है। लेकिन स्थितियां और जटिल होती जा रही हैं। पढ़िए अब तक कितने दिग्गज नेता छोड़ चुके हैं कांग्रेस...

गुलाम नबी आजाद के तत्काल बाद कश्मीर में कइयों ने पार्टी छोड़ी
गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री आरएस चिब सहित वहां के कई कांग्रेस नेताओं ने शुक्रवार को कांग्रेस छोड़ दी। आजाद के इस्तीफे के समर्थन में कांग्रेस के पांच अन्य नेताओं ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इनमें जीएम सरूरी, हाजी अब्दुल राशिद, मोहम्मद अमीन भट, गुलजार अहमद वानी और चौधरी मोहम्मद अकरम शामिल हैं। बता दें कि आजाद का इस्तीफा कांग्रेस के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल द्वारा पार्टी छोड़ने के दो दिन बाद आया है, जिसमें कहा गया है कि सबसे पुरानी पार्टी का निर्णय जमीनी हकीकत और जनहित के अनुरूप नहीं है, बल्कि चाटुकारिता से प्रभावित है।

जयवीर शेरगिल:जयवीर शेरगिल, जो पेशे से वकील हैं और कांग्रेस के युवा नेताओं में प्रमुख थे, ने 24 अगस्त को अपना इस्तीफा देते हुए दावा किया कि निर्णय लेने वालों की दृष्टि अब युवाओं की आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि स्व-सेवा हितों को प्राथमिकता मिल रही है जबकि सार्वजनिक और राष्ट्रीय हितों की अनदेखी की जा रही है। आजाद की तरह, शेरगिल ने भी आरोप लगाया था कि सबसे पुरानी पार्टी का निर्णय जमीनी हकीकत और जनहित के अनुरूप नहीं है, बल्कि यह चाटुकारिता से प्रभावित है।

कपिल सिब्बल: मई में जी-23 ग्रुप के असंतुष्ट नेताओं में से एक और सीनियर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद कांग्रेस से किनारा कर लिया था। उन्हें समाजवादी पार्टी (सपा) ने समर्थन दिया था। कपिल सिब्बल ने लिखा था-"मैंने 16 मई को कांग्रेस पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया था। हम विपक्ष में रहकर एक गठबंधन बनाना चाहते हैं, ताकि हम मोदी सरकार का विरोध कर सकें।" 

सुनील जाखड़: पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी मई में कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था। उस समय  कांग्रेस ने उदयपुर में अपना चिंतन शिविर आयोजित किया था। जाखड़ ने फेसबुक पर कहा था- कांग्रेस को शुभकामनाएं और अलविदा। जाखड़ का इस्तीफा तब आया था, जब उन्हें पंजाब पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।

आरपीएन सिंह: इन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारक बनाया गया था, लेकिन पार्टी ही छोड़ दी। कांग्रेस के लिए यह झटका ऐसे समय में था, जब प्रियंका गांधी यूपी में पूरे दमखम के साथ भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ने उतरी थीं। सिंह ने जनवरी में सोनिया गांधी को अपना त्याग पत्र भेजकर लिखा था-"आज हम अपने महान गणराज्य के गठन का जश्न मना रहे हैं, मैं अपनी राजनीतिक यात्रा में एक नया अध्याय शुरू करता हूं। जय हिंद।" इसके तुरंत बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह ने बीजेपी से हाथ मिला लिया था।

अश्विनी कुमार: पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने पार्टी के साथ 46 साल के लंबे जुड़ाव के बाद फरवरी में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। एक मीडिया इंटरव्यू में कुमार ने कहा था, “हमारे पास पार्टी का नेतृत्व करने के लिए एक परिवर्तनकारी और प्रेरक नेतृत्व नहीं है। मैंने न तो राजनीति छोड़ी है और न ही जनसेवा। मैं राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का यथासम्भव निर्वहन करना जारी रखूंगा।"

हार्दिक पटेल: मई में गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए लिखा था, कि उन्हें अनदेखा किया जा रहा थ। उन्होंने कहा, 'जब राहुल गुजरात आए तो उन्होंने गुजरात के लोगों की समस्या के बारे में बात नहीं की। पार्टी नेता राहुल गांधी के लिए चिकन सैंडविच और डाइट कोक के इंतजाम में जुटे हैं। 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए पाटीदार नेता को 2020 में गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था।

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