कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के बीच बातचीत जारी, सोनिया से मिलकर पवार कर सकते हैं सरकार बनाने की कोशिश

महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिये संभावित गठजोड़ को अंतिम रूप देने से पहले कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के नेताओं ने गुरुवार को न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करने के लिये यहां बैठक की। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 14, 2019 3:23 PM IST

मुंबई. महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिये संभावित गठजोड़ को अंतिम रूप देने से पहले कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के नेताओं ने गुरुवार को न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करने के लिये यहां बैठक की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सूत्रों ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के 17 नवंबर को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने की संभावना है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘कांग्रेस-राकांपा गठबंधन तथा शिवसेना के नेताओं ने यहां सरकार के साझा एजेंडे पर सहमति बनाने के लिये मुलाकात की। इस साझा एजेंडे को न्यूनतम साझा कार्यक्रम कहा जाएगा।’’उन्होंने कहा कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम के मसौदे को अंतिम रूप देने से पहले तीनों दलों के सर्वोच्च नेताओं से मंजूरी की जरूरत होगी।

कांग्रेस-राकांपा और शिवसेना ने साथ में की चर्चा 
शिवसेना द्वारा समर्थन मांगे जाने के बाद गुरुवार को पहली बार कांग्रेस-राकांपा और शिवसेना तीनों दलों के नेताओं ने सरकार गठन के लिये चर्चा की। बैठक में महाराष्ट्र राकांपा अध्यक्ष जयंत पाटिल, राकांपा नेता छगन भुजबल और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक, कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण, माणिकराव ठाकरे और विजय वडेट्टिवार तथा शिवसेना के एकनाथ शिंदे व सुभाष देसाई शामिल हुए। बीते कुछ दिनों से नजर आ रही गहमा-गहमी से इतर गुरुवार को हुई राजनीतिक वार्ता मीडिया की चकाचौंध से दूर हुई। राकांपा के सूत्रों ने कहा कि शरद पवार और सोनिया गांधी के बीच 17 नवंबर को नयी दिल्ली में मुलाकात होने तथा शिवसेना के साथ गठबंधन में सरकार बनाने पर चर्चा की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि गांधी और पवार के बीच बैठक के दौरान न्यूनतम साझा कार्यक्रम मसौदे पर चर्चा होगी।

सामना में शिवसेना ने भाजपा पर लगाए आरोप 
इन गतिविधियों के बीच शिवसेना ने अपने पूर्व सहयोगी भाजपा पर निशाना साधना जारी रखा। शिवसेना के मुखपत्र सामना ने गुरुवार को अपने संपादकीय में आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन एक ‘‘पहले से तय पटकथा’’ पर आधारित था। इसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को लेकर ‘‘घड़ियाली आंसू’’ बहा रहे हैं क्योंकि सत्ता अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के हाथों में ही रहेगी। शिवसेना सांसद संजय राउत ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीट बंटवारे के ‘‘50:50’’ फॉर्मूला के बारे में समय पर सूचना दी होती तो महाराष्ट्र को वर्तमान राजनीतिक संकट से न गुजरना पड़ता।

शाह ने बुधवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के उस दावे को खारिज कर दिया था कि भाजपा मुख्यमंत्री का पद साझा करने पर सहमत थी। प्रदेश भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यहां बैठक हो रही है जिसमें सांगठनिक मामलों के साथ ही प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा होगी। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने केंद्र को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उनके द्वारा तमाम प्रयास किये जाने के बावजूद मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में स्थिर सरकार का गठन असंभव है। इसके बाद मंगलवार को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। प्रदेश में 21 अक्टूबर को 288 सीटों के लिये हुआ विधानसभा चुनाव भाजपा-शिवसेना ने मिलकर लड़ा था और दोनों को क्रमश: 105 और 56 सीटें हासिल हुई थीं। दोनों दलों को मिली सीटें बहुमत के लिये जरूरी 145 के आंकड़े से ज्यादा थी। इसके बावजूद मुख्यमंत्री पद साझा करने की मांग पर दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई जिसके कारण राज्य में गतिरोध बरकरार रहा।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

Share this article
click me!