नक्शा विवाद के बीच हुई भारत और नेपाल की बैठक खत्म, इन अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

नक्शा विवाद और बयानबाजी के बीच भारत और नेपाल ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा बैठक की। इस बैठक में भारत की ओर से नेपाल में चल रहे प्रोजेक्ट्स की समीक्षा हुई। इस बैठक में नेपाल की ओर से विदेश मंत्रालय के सचिव शंकर दास बैरागी और भारत की ओर से नेपाल में राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने हिस्सा लिया।

Asianet News Hindi | Published : Aug 17, 2020 7:27 AM IST / Updated: Aug 17 2020, 04:12 PM IST

नई दिल्ली. नक्शा विवाद और बयानबाजी के बीच भारत और नेपाल ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा बैठक की। इस बैठक में भारत की ओर से नेपाल में चल रहे प्रोजेक्ट्स की समीक्षा हुई। इस बैठक में नेपाल की ओर से विदेश मंत्रालय के सचिव शंकर दास बैरागी और भारत की ओर से नेपाल में राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने हिस्सा लिया। इससे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी थीं। 

नेपाल और भारत के बीच मई से नक्शा विवाद के बाद तनाव चरम पर है। दोनों देशों के बीच तल्खी आने के बाद पहली बार यह उच्च-स्तरीय बैठक हुई। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में नेपाल में भारत की मदद से चल रही विभिन्न परियोजनाओं की समीक्षा की गई।

बैठक में क्या हुई चर्चा?
नेपाल विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों देशों के बीच भारत-नेपाल द्विपक्षीय सहयोग के तहत चलाई जा रहीं योजनाओं जैसे सड़क, क्रॉस बॉर्डर रेलवे, अरुण III हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट, पेट्रोलियम प्रोडक्ट पाइपलाइन, पंचेश्वर प्रोजेक्ट, भूकंप पुनर्निमाण कार्य को लेकर चर्चा हुई। 

नेपाल विदेश मंत्रालय ने बताया, इसके अलावा सिंचाई, पावर एंड ट्रांसमिशन लाइन्स, कंट्रेक्शन ऑफ नेपाल पुलिस अकेडमी, चेक पोस्ट बनाने, रामायण सर्किट,  महाकाली नदी पर पुल, कृषि समेत तमाम मुद्दों पर भी चर्चा हुई। हालांकि, अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि नक्शा विवाद पर चर्चा हुई या नहीं। 

भगवान राम और बुद्ध एकजुट करते हैं- नेपाली राजदूत
बैठक से पहले भारत में नेपाल के राजदूत नीलांबर आचार्य ने कहा, भगवान राम और बुद्ध दोनों देशों को बांटते नहीं, एकजुट करते हैं। इससे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भगवान राम को नेपाल का बताया था। 

भगवान राम और बुद्ध पर दोनों देशों में विश्वास- आचार्य
आचार्य ने मीडिया से बातचीत में कहा,  भारत-नेपाल के विदेश मंत्रालय भगवान राम और बुद्ध के बयानों पर स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं। दोनों देश भगवान राम और बुद्ध में विश्वास रखते हैं। सभी यह भी मानते हैं कि बुद्ध का जन्मस्थान लुंबिनी में है। हमें इन मुद्दों पर किसी तरह का विवाद पैदा करने से बचना चाहिए।
 
दोनों देशों के बीच नक्शे से शुरू हुआ विवाद
2 नवंबर 2019 को भारत ने अपना नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था। इस पर नेपाल ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद नेपाल ने 18 मई 2020 को नया नक्शा जारी कर भारत के तीन हिस्सों कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को इसमें दिखाया था। यह नक्शा नेपाल के दोनों सदनों में पास भी हो चुका है। इसके बाद से दोनों देशों में विवाद शुरू हो गया। यहां तक की नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने यह तक आरोप लगा दिया था कि भारत में उनकी सरकार गिराने की साजिश रची जा रही है। 

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