NewsClick के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की ज्यूडिशियल कस्टडी 1 दिसंबर तक बढ़ाई गई

पुरकायस्थ और चक्रवर्ती पर यूएपीए के अंतर्गत केस दर्ज है। आरोप है कि न्यूजक्लिक को प्रोपगैंडा के लिए चीन से फंडिंग हुई है।

NewsClick funding case: न्यूजक्लिक के फाउंडर्स की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ऑनलाइन मीडिया प्लेटफार्म न्यूजक्लिक के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की ज्यूडिशियल कस्टडी 1 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है। गुरुवार को दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने यह आदेश दिया। पुरकायस्थ और चक्रवर्ती पर यूएपीए के अंतर्गत केस दर्ज है। आरोप है कि न्यूजक्लिक को प्रोपगैंडा के लिए चीन से फंडिंग हुई है।

क्या है न्यूजक्लिक के खिलाफ दर्ज हुए एफआईआर में?

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न्यूजक्लिक के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर लिखा गया है कि गुप्त इनपुट प्राप्त हुए हैं कि भारत के खिलाफ काम करने के लिए भारतीय एवं विदेशी संस्थाओं द्वारा अवैध रूप से करोड़ों रुपये की विदेशी फंडिंग मिली है। धोखाधड़ी से प्राप्त फंड अप्रैल 2018 में मेसर्स पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड को प्राप्त हुए हैं। यह फंड मेसर्स वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स एलएलसी एंड अदर्स से पांच सालों में मिले हैं। दस्तावेज में दावा किया है कि नेवि रॉय सिंघम द्वारा धोखाधड़ी से फॉरेन फंड को इन्वेस्ट किया गया है। आरोप है कि नेविल रॉय सिंघम का संबंध चीनी सरकार की मीडिया मशीनरी से है। शंघाई में रहने वाले नेविल रॉय सिंघम ने स्वयं दावा किया था कि पूरी दुनिया में उसका नेटवर्क है और इसके माध्यम से वह चीनी प्रोपगैंडा के लिए फंडिंग करता है। बीते दिनों न्यूयार्क टाइम्स ने दावा किया था कि चीनी प्रोपगैंडा के लिए गुप्त तरीके से फंडिंग तमाम संस्थाओं को भेजी गई।

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एफआईआर में दर्ज किया गया है कि न्यूजक्लिक, उसके प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्था व अन्य ने भारत की एकता अखंडता और सुरक्षा को कमजोर करने की साजिश रची। इन लोगों ने भारत में किसान आंदोलन सहित अन्य विषयों के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की है। एफआईआर के अनुसार, आरोपियों ने कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र बताते हुए साजिश रची। कोविड महामारी को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों को बदनाम करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई। 2019 के लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी दुबारा प्रचंड बहुमत के साथ सरकार में आई। एफआईआर में Xiaomi जैसी बड़ी चीनी टेलीकॉम कंपनियों पर भारत में अवैध रूप से विदेशी फंड डालने का भी आरोप लगाया गया है।

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