निर्भया : दोषी के पिता की याचिका पर कोर्ट ने कहा, शपथ लेते हैं गवाह, बाहर के बयानों से फर्क नहीं पड़ता

निर्भया गैंगरेप मामले में इकलौते गवाह के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली की निचली अदालत में सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि गवाह की विश्वसनीयता कोर्ट के बाहर उसके बयानों के आधार पर तय नहीं की जा सकती है। 

नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप मामले में इकलौते गवाह के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली की निचली अदालत में सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि गवाह की विश्वसनीयता कोर्ट के बाहर उसके बयानों के आधार पर तय नहीं की जा सकती है। दोषी पवन के पिता हीरालाल ने याचिका लगा दावा किया था कि गवाह ने रिश्वत लेकर चैनलों को इंटरव्यू दिया था, जिससे सुनवाई प्रभावित हुई थी। निर्भया केस में पीड़िता निर्भया का दोस्त ही एकमात्र गवाह है। घटना के वक्त वह बस में मौजूद था।

"कोर्ट में शपथ लेते हैं गवाह" 
अदालत में कहा गया कि कोर्ट में गवाही से पहले गवाह कोर्ट में शपथ लेते हैं। कोर्टरूम से बाहर वह क्या कहते हैं इससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल नहीं किया जा सकता है। 20 दिसंबर को अगली सुनवाई में याचिका स्वीकार करने पर विचार किया जाएगा।

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क्या है निर्भया गैंगरेप?
देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल स्टूडेंट के साथ चलती बस में गैंगरेप किया गया था। उस वक्त स्टूडेंट का दोस्त भी था, जिसे आरोपियों ने बुरी तरह से मारा था। इस मामले में पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनके नाम रामसिंह, पवन, मुकेश, विनय और अक्षय है। एक आरोपी नाबालिग है। रामसिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। नाबालिग आरोपी को 3 साल की सजा के बाद दिसंबर 2016 में छोड़ दिया गया। बाकी के चार आरोपियों को जल्द ही फांसी पर लटकाया जाना है।

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