सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले दिल्ली के मुस्लिम, अस्पताल या कॉलेज बनता तो अच्छा होता

राष्ट्रीय राजधानी में मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग ने अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का शनिवार को स्वागत किया लेकिन कुछ ने कहा कि शीर्ष अदालत विवादित स्थल पर कोई अस्पताल या कॉलेज बनाने का आदेश दे सकती थी।

नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी में मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग ने अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का शनिवार को स्वागत किया लेकिन कुछ ने कहा कि शीर्ष अदालत विवादित स्थल पर कोई अस्पताल या कॉलेज बनाने का आदेश दे सकती थी। पुरानी दिल्ली से यमुना पार के सीलमपुर इलाके के कई मुस्लिम निवासी फैसले को लेकर खुश हैं और उन्होंने लोगों से शांत रहने तथा शांति एवं भाईचारा बनाने की अपील की है।

न्यू सीलमपुर इलाके के निवासी मोहम्मद उस्मान ने कहा, ‘‘फैसला सही है लेकिन यह और बेहतर हो सकता था अगर अदालत वहां कोई अस्पताल या कॉलेज बनाने का आदेश देती।’’ 25 वर्षीय उस्मान ने कहा, ‘‘लेकिन हम खुश हैं कि उच्चतम न्यायालय ने विवाद हल कर दिया।’’ कपड़ों का कारोबार करने वाले ब्रह्मपुरी के 30 वर्षीय सनीबुल अली ने कहा, ‘‘हम भी इसका समर्थन करते हैं लेकिन यह बेहतर हो सकता था अगर अयोध्या में विवादित स्थल पर मस्जिद या मंदिर बनाने पर विचार करने के बजाय अदालत कोई अस्पताल या कॉलेज बनाने का आदेश देती।’’

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रोजगार पर ध्यान दे सरकार 

हालांकि, सभी निवासी इस फैसले से खुश नहीं हैं और वह चाहते हैं कि सरकार अब लोगों को रोजगार मुहैया कराने पर ध्यान केंद्रित करे। जामा मस्जिद में मजदूरी करने वाले अशरफुद्दीन ने कहा, ‘‘अब मसला सुलझ गया है तो सरकार को रोजगार मुहैया कराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी आजीविका कमाने के लिए रोजगार चाहते हैं। मैं असंतुष्ट हूं लेकिन खुश हूं कि कई वर्षों तक राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाला यह मुद्दा सुलझ गया है।’’

जामा मस्जिद के समीप ऊनी कपड़ों की दुकान चलाने वाले फहीम ने कहा, ‘‘हिंदू और मुस्लिम भाई-भाई हैं और वे बस शांति चाहते हैं।’’सीलमपुर इलाके के निवासी मोहम्मद हसीबुल ने कहा, ‘‘हम फैसले का स्वागत करते हैं। हम लंबित विवाद पर फैसले का समर्थन करते हैं। इस मुद्दे को हल करने की जरूरत थी...देशभर में कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए।’’

जामा मस्जिद इलाके में पुलिसकर्मियों ने सड़कों पर मार्च किया और मोटरसाइकिल से गश्त दी। जाफराबाद में रहने वाले 25 वर्षीय साकिब चौधरी ने कहा, ‘‘हमें नमाज पढ़ने के लिए कोई विशेष स्थान की जरूरत नहीं है। अल्लाह हर जगह है। हम उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं और इस संवेदनशील तथा लंबे समय से अटके मुद्दे को हल करने की जरूरत थी।’’

(यह खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा की है, एसियानेट हिंदी की टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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