भारत में हर 36 में से 1 बच्चा नहीं मना पाता अपना पहला बर्थडे, मप्र का डेटा सबसे शॉकिंग

पिछले 10 साल में भारत के शिशु मृत्यु दर में 36 फीसदी की गिरावट आई है। यह 44 से घटकर 28 हो गया है। भारत में हर 36 शिशुओं में से एक की मौत एक साल के भीतर हो जाती है।  पिछले दशक में जन्म दर में लगभग 11 प्रतिशत की गिरावट आई है।

Asianet News Hindi | Published : Jun 4, 2022 11:25 AM IST / Updated: Jun 04 2022, 05:50 PM IST

नई दिल्ली। शहरों से लेकर गांवों तक स्वास्थ्य सुविधा बेहतर होने के चलते भारत में पिछले कुछ दशकों में शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate) में गिरावट आई है। अच्छा इलाज मिलने के चलते गंभीर रूप से बीमार बच्चों की जान बच रही है। हालांकि अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ करने की जरूरत है। भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत में हर 36 शिशुओं में से एक की मौत एक साल के भीतर हो जाती है। 

रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा जारी नए डाटा के अनुसार भारत में 2020 से अभी तक हर एक हजार में से 28 शिशु की मौत हो जाती है। हालांकि अगर 50 साल पहले की बात करें तो यह वर्तमान से करीब चार गुना अधिक था। 1971 में भारत में हर 1 हजार बच्चे में से 129 की मौत हो जाती थी। 

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10 साल में आई 36 फीसदी की गिरावट
पिछले 10 साल में शिशु मृत्यु दर में 36 फीसदी की गिरावट आई है। यह 44 से घटकर 28 हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले दस साल में शिशु मृत्यु दर 48 से घटकर 31 हो गया है। वहीं, शहरी क्षेत्रों में यह 29 से घटकर 19 हो गया है। हालांकि, बुलेटिन में कहा गया है कि "पिछले दशकों में आईएमआर में गिरावट के बावजूद प्रत्येक 36 शिशुओं में से एक अपने जीवन के पहले वर्ष के भीतर मर जाता है"।

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मध्यप्रदेश का है सबसे अधिक शिशु मृत्यु दर 
2020 में मध्यप्रदेश का शिशु मृत्यु दर सबसे अधिक (43) और मिजोरम का सबसे कम (3) था। पिछले पांच दशक में देश में जन्मदर घटा है। 1971 में यह 36.9 था, जो 2020 में 19.5 रह गया है। इन वर्षों में ग्रामीण-शहरी अंतर भी कम हुआ है। हालांकि, पिछले पांच दशकों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म दर अधिक बनी हुई है। पिछले दशक में जन्म दर में लगभग 11 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह 2011 में 21.8 था, जो 2020 में घटकर 19.5 हो गया। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगभग 9 प्रतिशत की गिरावट हुई है।

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