देश में धरोहरों के संरक्षण के लिए सरकार कर रही हरसंभव प्रयास, लंबे समय बचाएंगे अपनी विरासत- जी. किशन रेड्डी

लगभग 20 देशों ने इस वेबिनार में भाग लेने के लिए सहमति दी है। इसमें बांग्लादेश, भूटान, जापान, ईरान, दक्षिण अफ्रीका, वेनेजुएला, इजराइल और अमेरिका भी शामिल हैं। स्मारकों के संरक्षण को लेकर यह अब तक का पहला ग्लोबल वेबिनार है जो पं. दीनदयाल उपाध्याय की स्मृति दिवस पर आयोजित किया गया है।

नई दिल्ली। एकात्म मानवतावाद के प्रणेता दीनदयाल उपाध्याय के स्मृति दिवस पर स्मारकों और विरासतों के संरक्षण पर दुनियाभर में जागरूकता पैदा की जाएगी। दुनिया के करीब 20 देशों के विशेषज्ञ विरासतों के संरक्षण पर बात कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (National Monuments authority) ने शुक्रवार  को 'स्मारकों के संरक्षण और राष्ट्रीय विरासत के संरक्षण के लिए उनके महत्व' पर ICCR (MEA) के सहयोग से एक वेबिनार का आयोजन किया। 

इन देशों ने की भागीदारी

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लगभग 20 देशों ने इस वेबिनार में भाग लेने के लिए सहमति दी थी। इसमें बांग्लादेश, भूटान, जापान, ईरान, दक्षिण अफ्रीका, वेनेजुएला, इजराइल और अमेरिका भी शामिल हैं। स्मारकों के संरक्षण को लेकर यह अब तक का पहला ग्लोबल वेबिनार है जो पं. दीनदयाल उपाध्याय की स्मृति दिवस पर आयोजित किया गया है। वेबिनार में राष्ट्रीय स्मारकों और विरासत स्थलों की रक्षा के महत्व पर बात की जाएगी। 

भारत सरकार के कई मंत्रियों ने लिया हिस्सा 

संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्व मामलों के मंत्री जी किशन रेड्डी, संस्कृति राज्य मंत्री, मीनाक्षी लेखी, संस्कृति और संसदीय कार्य राज्य मंत्री, अर्जुन राम मेघवाल और सांसद डॉ. विनय सहस्रबुद्धे वेबिनार के उद्घाटन के वक्ता हैं। संस्कृति सचिव गोविंद मोहन उद्घाटन भाषण दिया। भूटान से प्रसिद्ध संरक्षण वास्तुकार पेमा, मिस्र से मोहम्मद रऊफ बदरन, इक्वाडोर से डॉ. मारिया, ईरान से डॉ. मोहम्मद हेकमत, जापान से प्रो. अयुमु कोनासुकावा, म्यांमार से डॉ. पाइत फ्यो क्याव समेत कई प्रमुख स्मारक विशेषज्ञ भी इसमें भाग ले रहे हैं। राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरुण विजय ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण से प्रेरित एक बहुत ही अनोखी और अभूतपूर्व इवेंट है। उन्होंने कहा कि वेबिनार फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर विद्वानों और इच्छुक युवाओं के लिए खुला है। 

इस वेबिनार को केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी, केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी और आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने भी संबोधित किया। उन्होंने भारत में धरोहरों के संरक्षण को लेकर किए जा रहे कार्यों का संक्षेप में उल्लेख करते हुए वक्ताओं का सवागत किया। 

धरोहरों के संरक्षण पर खास जोर

कोलंबिया से सेलिना रिंकाजेम्स ने कोलंबिया की सेलिना ने उन्होंने 45 धरोहरों का प्लान शेयर करते हुए इस पर किए गए विस्तृत कार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे दुनियाभर में धरोहरों को लंबे समय तक के लिए संरक्षित किया जा सकता है। वहीं, इजिप्ट से प्रोफेसर मोहम्मद रऊफ बद्रान ने मिस्र के पिरामिडों और अन्य धरोंहरों के संरक्षण और नए-नए तकनीक पर किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया। इसके साथ ही इक्वाडोर की मारिया ने भी हेरिटेज को लेकर कई महत्वपूर्ण बिंदु रखे। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक कैसे धरोहरों को संरक्षित रखा जाए। गुयाना की निर्वाणा प्रसाद ने पर्यटन और संस्कृति के क्षेत्र में भारत के साथ मिलकर किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया। 

तकनीकी समस्या से नहीं बोल सके अब सईद 
बांग्लादेश से यूनिवर्सिटी ऑफ एशिया पैसेफिक के डिपार्टमेंट ऑफ आर्कटेक्चर में प्रोफेसर अबु सईद अहमद को विनय सहस्रबुद्धे के बाद बोलने के लिए आमंत्रित किया गया, मगर तकनीकी खराबी की वजह से उनकी आवाज सुनाई नहीं दी। करीब 15 मिनट तक यह सिलसिला चला, मगर दोनों ओर की कोशिशों के बाद भी यह समस्या खत्म नहीं हुई। वहीं, भूटान से मिस पेमा ने भारत और भूटान के धरोहरों को सहेजने और इस पर किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देश इसे आगे ले जाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।

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