92 साल की उम्र में भी रामलला के लिए कोर्ट में घंटों खड़े रहकर बहस करते थे एडवोकेट परासरन

9 अक्टूबर, 1927 को तमिलनाडु के श्रीरंगम में जन्मे परासरन 70 के दशक से ही काफी लोकप्रिय रहे हैं। हिंदू धर्मग्रंथों पर उनकी बेहतरीन पकड़ रही है। उनके पिता केसवा अयंगर मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वकील थे। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 9, 2019 7:24 AM IST

नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को फैसला सुनाया। इस फैसले को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने एकमत से सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक बताते हुए मुस्लिम पक्ष यानी सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने को कहा है। इससे पहले कोर्ट में 40 दिन लगातार चली सुनवाई में रामलला की तरफ से 92 साल के वरिष्ठ वकील के परासरन ने पक्ष रखा। 2016 से परासरन कोर्ट में काफी कम दिखते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में दो बड़े केस ने उन्हें फिर से चर्चा में ला दिया है। इनमें पहला है सबरीमला और दूसरा अयोध्या विवाद। 

जब 92 साल के परासरन बोले- खड़े होकर बहस करूंगा : 
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जब परासरन अपनी सीट पर खड़े हुए तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उनसे पूछा था- क्या आप बैठकर बहस करना चाहेंगे? इस पर परासरन ने कहा, कोई बात नहीं, खड़े होकर ही बहस करने की परंपरा रही है। 

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अयोध्या केस को खत्म करना ही अंतिम इच्छा : 
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान, जब सीनियर वकील राजीव धवन ने हर रोज सुनवाई पर आपत्ति जताई तो परासन ने कहा, "मरने से पहले मेरी अंतिम इच्छा इस केस को पूरा करने की है।"

हिन्दू धर्मग्रंथों पर है अच्छी पकड़ : 
9 अक्टूबर, 1927 को तमिलनाडु के श्रीरंगम में जन्मे परासरन 70 के दशक से ही काफी लोकप्रिय रहे हैं। हिंदू धर्मग्रंथों पर उनकी बेहतरीन पकड़ रही है। उनके पिता केसवा अयंगर मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वकील थे। परासरन के तीनों बेटे मोहन, सतीश और बालाजी भी वकील हैं। यूपीए-2 के कार्यकाल में वो कुछ समय के लिए सॉलिसिटर जनरल भी थे। 

61 साल पहले परासरन ने शुरु की थी प्रैक्टिस : 
परासरन ने 1958 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। इमरजेंसी के दौरान वह तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल थे और 1980 में भारत के सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किए गए थे। 1983 से 1989 तक उन्होंने भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में भी काम किया।

पद्मभूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित हैं परासरन : 

परासरन को 2003 में भारत सरकार ने पद्मभूषण और 2011 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया। 2012 में उन्हें राज्यसभा की ओर से प्रेसिडेंशियल नॉमिनेशन भी दिया गया।

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