सिर्फ परीक्षा के लिए नहीं वैसे भी जीवन में हमे समय के प्रबंधन के प्रति जागरूक रहना चाहिए। काम का ढेर इसलिए हो जाता है, क्योंकि समय पर उसे नहीं किया। काम करने की कभी थकान नहीं होती, काम करने से संतोष होता है। काम ना करने से थकान होती है कि इतना काम बचा है।
मेहनती बच्चों को चिंता रहती है कि मैं मेहनत करता हूं और कुछ लोग चोरी कर अपना काम कर लेते हैं। ये जो मूल्यों में बदलाव आया है ये समाज के लिए खतरनाक है। अब जिंगदी बदल चुकी है जगत बहुत बदल चुका है। आज हर कदम पर परीक्षा देनी पड़ती है। नकल से जिंदगी नहीं बन सकती है।
हम राजनीति में कितने ही चुनाव क्यों न जीत लें, लेकिन ऐसा दवाब पैदा किया जाता है कि हमें हारना नहीं है। चारों तरफ से दबाव बनाया जाता है। क्या हमें इन दबावों से दबना चाहिए? अगर आप अपनी एक्टिविटी पर फोकस रहते हैं, तो आप ऐसे संकट से बाहर आ जाएंगे। कभी भी दबावों के दबाव में न रहें।
ऐसे लोग हैं जो बहुत मेहनत करते हैं। कुछ लोगों के लिए कड़ी मेहनत उनके जीवन के शब्दकोश में मौजूद नहीं है। कुछ मुश्किल से स्मार्ट वर्क करते हैं, और कुछ स्मार्ट तराके से हार्ड वर्क करते हैं। हमें इन पहलुओं की बारीकियों को सीखना चाहिए और परिणाम के लिए उसी अनुसार काम करना चाहिए।
एक बार आपने इस बात को स्वीकार कर लिया कि मेरी ये क्षमता है ये स्थिति है तो मुझे इसके अनुकूल चीजें खोजनी होगी। ज्यादातर लोग सामान्य होते हैं, असाधारण लोग बहुत कम होते हैं। सामान्य लोग असामान्य काम करते हैं और जब सामान्य लोग असामान्य काम करते हैं, तब वे ऊंचाई पर जाते हैं।
आज दुनिया में आर्थिक तुलनात्मक में भारत को एक आशा की किरण के रूप में देखा जा रहा है। 2-3 साल पहले हमारी सरकार के विषय में लिखा जाता था कि इनके पास कोई अर्थशास्त्री नहीं है सब सामान्य हैं, PM को अर्थशास्त्र के बारे में कुछ नहीं पता। जिस देश को सामान्य कहा जाता था वे आज चमक रहा है।
हर मां-बाप अपने बच्चों का सही मूल्यांकन करें और बच्चों के भीतर हीन भावना को ना आने दें। आदतन आलोचना करने वालों पर ध्यान मत दीजिए... हमें अपना फोकस कभी छोड़ना नहीं चाहिए। मां-बाप से भी मेरा आग्रह है कि टोका-टोकी के जरिए आप अपने बच्चों को 'मोल्ड' नहीं कर सकते। 'आलोचना' और 'दोष' के बीच एक गहरी और मोटी रेखा है। आलोचनाएं हमें बेहतर बनाती हैं और दोष एक ऐसी चीज़ है जिस पर हमें जीवन में ध्यान भी नहीं देना चाहिए! ताकत पर विश्वास करो, भगवान ने तुम्हें दिया है!
अपनी खुद की स्मार्टनेस पर विश्वास करें, गैजेट्स की स्मार्टनेस पर नहीं। आप जितने ज्यादा स्मार्ट होंगे, आप गैजेट्स का उतना ही सही इस्तेमाल कर पाएंगे। इनका बुद्धिमानी से उपयोग करें!