Parliament Winter Session: 29 नवम्बर से संसद चलाने की सिफारिश, सरकार के लिए कई मुद्दे फिर बनेंगे चुनौती

संसद का मानसून सत्र (Monsoon Session) इस बार 19 जुलाई से 13 अगस्त तक प्रस्तावित था। लेकिन विभिन्न मुद्दों पर चर्चा नहीं कराए जाने की वजह से यह सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 8, 2021 11:47 AM IST

नई दिल्ली। संसद (Parliament)का शीतकालीन सत्र (Winter Session) 29 नवम्बर से शुरू हो रहा है। सत्र 23 दिसंबर तक चलेगा। संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी (Cabinet Committee for Parliamentary affairs) ने संसद के शीतकालीन सत्र के आयोजन की सिफारिश की है। हालांकि, मानसून सत्र की तरह संसद का शीतकालीन सत्र भी हंगामादार होने की संभावना है। 

मानसून सत्र 19 जुलाई से 13 अगस्त तक था प्रस्तावित

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संसद का मानसून सत्र (Monsoon Session) इस बार 19 जुलाई से 13 अगस्त तक प्रस्तावित था। लेकिन विभिन्न मुद्दों पर चर्चा नहीं कराए जाने की वजह से यह सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। मानसून सत्र में सबसे बड़ा मुद्दा पेगासस जासूसी कांड का रहा। इस मुद्दे पर सरकार पर फोन टैपिंग और मोबाइल की जासूसी का आरोप लगे। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पूरे सत्र भी हंगामा चलता रहा और सत्र पहले ही खत्म कर दिया गया। सदन नहीं चलने से 133 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ था। एक रिपोर्ट के अनुसार,  संसद सत्र के एक मिनट की कार्यवाही का खर्च करीब 2.6 लाख रुपये का आता है।

विपक्ष के लिए सबसे अहम मुद्दे यह रहे

सत्र शुरू होने के पहले ही एक विदेशी अखबार में पेगासस जासूसी कांड (Pegasus Spyware) को लेकर रिपोर्ट छपी। इस रिपोर्ट में भारत के तमाम लोगों के नंबर भी थे जिनकी जासूसी पेगासस स्पाईवेयर से कराई गई थी। दरअसल, पेगासस इजरायल में निर्मित एक जासूसी साफ्टवेयर है जिसके इस्तेमाल से बिना किसी की जानकारी के उसकी एक-एक गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है।

सबसे अधिक विवाद तब खड़ा हुआ जब पेगासस स्पाईवेयर कंपनी एनएसओ (NSO) और इजरायल सरकार (Israel Government) ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह केवल देशों की सरकारों को ही यह साफ्टवेयर बेचते हैं न कि किसी प्राइवेट व्यक्ति या संस्था को। हालांकि, इस बार शीतकालीन सत्र में यह मामला उतना हंगामाखेज नहीं होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कमेटी पहले ही बना दी है।

लेकिन इस बार सत्र के दौरान किसानों का मुद्दा व लखीमपुर खीरी कांड अधिक प्रभावी ढंग से उठाया जा सकेगा क्योंकि अगले साल ही पंजाब और यूपी जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके अलावा महंगाई का भी मुद्दा इस बार जोर पकड़ेगा।

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