अनिश्चितकाल के लिए संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया है। लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा- सत्र के दौरान सदन में नियम 377 के तहत सार्वजनिक महत्व के 298 मामले उठाए गए जबकि शून्यकाल के दौरान लोकसभा सांसदों ने अत्यावश्यक सार्वजनिक महत्व के 374 मामलों को सदन के सामने रखा।
Parliament Winter session adjourned sine die: संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। 17वीं लोकसभा का दसवां सत्र 7 दिसंबर को प्रारंभ होकर 23 दिसंबर तक चला। शीतकालीन सत्र में 13 मीटिंग्स हुई, जबकि 68 घंटे 42 मिनट तक यह सत्र चली। सत्र की प्रोडक्टिविटी 97% रही। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया- इस सत्र में 9 विधेयक पेश किए गए, लेकिन सभी की सहमती से 7 पास हुए। शीतकालीन सत्र के दौरान महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। उन्होंने कहा- किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र में राजनीतिक दलों में मतभेद स्वभाविक है लेकिन लोकतंत्र की मजबूती के लिए स्वस्थ बहस भी सभी के बीच में होनी चाहिए।
लोकतंत्र में बहस जरूरी, व्यवधान की कोई जगह नहीं
बिरला ने कहा- किसी भी मुद्दे पर बहस के दौरान सहमति और असहमति हो सकती है लेकिन रुकावट डालना किसी भी समस्या का माध्यम नहीं हो सकता। सदन को सामूहिक इच्छा और आम सहमति के अनुसार चलना चाहिए। उन्होंने मौजूद सांसद सदस्य से अपील की है कि वे सभी लोगों की समस्याओं को सदन में उठाकर और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सदन की कार्यवाही में ज्यादा से ज्यादा भाग लें।
(तस्वीर में सत्र के दौरान होने वाली मिटिंग में शामिल पक्ष और विपक्ष के साथ चर्चा करते हुए ओम बिरला)
शीतकालीन सत्र में इन विधेयकों को किया गया पेश
लोकसभा अध्यक्ष ने बताया- सत्र के दौरान 09 विधेयक पेश किए गए, जिसमें से 07 विधेयक पारित किए गए। समुद्री डकैती रोधी विधेयक 2019,The Appropriation (No.4) विधेयक 2022, The Appropriation (No.5) विधेयक 2022, संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ और पांचवां) संशोधन विधेयक 2022, निरसन और संशोधन विधेयक 2022, अनुदानों की अनुपूरक मांगें- 2022-2023 के लिए पहला बैच और 2019-2020 के लिए अतिरिक्त अनुदान मांगों, जो 14 दिसंबर 2022 को पारित की गईं। इस दौरान 10 घंटे 53 मिनट तक चर्चा हुई।
सत्र के दौरान पूछे गए 3 हजार से अधिक सवाल
ओम बिरला ने कहा- सत्र के दौरान 3 हजार से ज्यादा सवालों के जवाब दिए गए। नियम 377 के तहत सार्वजनिक महत्व के 298 मामले सदन में उठाए गए, जबकि शून्यकाल के दौरान लोकसभा सांसदों ने अत्यावश्यक सार्वजनिक महत्व के 374 मामलों को सदन के सामने रखा। स्थायी कमेटीज ने 36 रिपोर्ट्स सदन के सामने रखीं। 43 स्टेटमेंट्स पेश किया गया। पूरे सत्र के दौरान सदन के पटल पर 1811 पेपर्स रखे गए।
इन मुद्दों पर चर्चाएं भी हुई
सदन में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर कम समय के लिए चर्चा हुई। इनमें भारत में खेलों को बढ़ावा देने के संबंध में सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर चर्चा के लिए 2 घंटे का समय फिक्स था, लेकिन यह करीब 8 घंटे 6 मिनट तक चला। इसी तरह भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या और सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर 7 घंटा 13 मिनट तक चर्चा हुई। इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 21 दिसंबर को जवाब दिया।
59 गैर सरकारी सदस्यों ने पेश किए विधेयक
लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि शीतकालीन सत्र के दौरान गैर सरकारी सदस्यों ने 59 विधेयक पेश किए। इसके अलावा गोपाल चिनय्या शेट्टी द्वारा लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक 2019 (नई धारा 29AA की प्रविष्टि) पर चर्चा पूरी नहीं हो सकी। रेडडेप्पा नालकोंडा गारी द्वारा रेलवे स्टेशनों के सौंदर्यीकरण और आधुनिकीकरण के संकल्प पर चर्चा हुई लेकिन पूरी नहीं हो सकी।
जी-20 पर सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम्स
इस दौरान सांसदों के लिए जी-20 पर सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम्स भी रखा गया। जिम्बाब्वे के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने भी सत्र के दौरान विजिट किया। जिम्बाब्वे के नेशनल असेंबली के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने वहां के स्पीकर एडवोकेट जैकब मुंडेंडा के नेतृत्व में 8 दिसंबर को लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात की थी। इसके अलावा, सामाजिक मंत्रालय द्वारा भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (ALIMCO) उत्पादों की एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
संसद आतंकी हमले की बरसी पर श्रद्धांजलि
13 दिसंबर को राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़, पीएम नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित मंत्रियों और संसद सदस्यों ने 13 दिसंबर 2001 को आतंकवादी हमले से संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सुरक्षा बलों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
संसद में लंच में बाजरा परोसा गया
लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि बीते 20 दिसंबर को लंच में सदस्यों ने बाजरे के व्यंजन का लुत्फ उठाया। बाजरे के व्यंजनों का उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पीएम नरेंद्र मोदी सहित मंत्रियों व सांसदों ने स्वाद चखा। दरअसल, संसद में बाजरा के व्यंजन परोसे गए क्योंकि भारत 2023 को बाजरा के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में मनाने की तैयारी कर रहा है।
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