सार

दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। GRAP-4 प्रतिबंधों को अगले तीन दिनों तक बढ़ाया गया है और ट्रकों की एंट्री रोकने पर निगरानी के लिए युवा वकीलों को तैनात किया गया है।

Delhi Air Pollution: दिल्ली में बढ़े वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने काफी सख्ती दिखायी है। प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कदम न उठाए जाने पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने जीआरएपी-4 के प्रतिबंधों को अगले तीन दिनों तक और जारी रखने का निर्देश दिया है। साथ ही ट्रकों की एंट्री रोकने के पर कोई खास कार्रवाई नहीं किए जाने पर सरकार और प्रशासन से नाराजगी जतायी है।

कार्रवाई की निगरानी के लिए युवा वकीलों को कोर्ट ने किया तैनात

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के 113 एंट्री प्वाइंट्स में महज 13 कैमरे ही है। नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार से सभी एंट्री प्वाइंट्स पर पुलिस को तैनात करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने एक लीगल टीम भी बनाई है। कहा कि क्या वाकई में वाहनों की एंट्री पर रोक लगाई जा रही है या नहीं, इसके लिए बार एसोसिएशन के युवा वकीलों को तैनात किया जाएगा ताकि वह मॉनिटरिंग कर सकें।

केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जार्ज मसीह की बेंच ने की है। अगली सुनवाई तीन दिन बाद होगी। 

सुनवाई के दौरान जस्टिस ओका और जस्टिस मसीह की बेंच ने दिल्ली सरकार पर काफी नाराजगी जतायी। बेंच ने पूछा कि दिल्ली में 113 एंट्री प्वाइंट हैं तो केवल 13 प्वाइंट्स पर ही सीसीटीवी कैमरे हैं और यहीं चेकिंग क्यों की गई। यानी 100 प्वाइंट्स से बेरोकटोक गाड़ियों का आवागमन होता रहा और सरकार चुप रही। जीआरएपी-4 का पालन करने के लिए दिल्ली सरकार के पास कोई एसओपी नहीं है। कोर्ट ने पूछा कि आखिर किस स्ट्रैटेजी के साथ चेकिंग की गई। प्रदूषण कम करने के लिए क्या प्लानिंग अपनाई गयी। 

न्याय मित्र अपराजिता सिंह ने की थी कोर्ट में अपील

दरअसल, दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह की अपील पर कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की है। अपराजिता सिंह ने कहा था कि प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार ने कुछ भी नहीं किया, हालात गंभीर हैं। दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर नहीं बनना चाहिए। इसके अलावा एक अन्य याचिका एमसी मेहता की ओर से दायर किया गया था। इस याचिका में भी दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण प्रबंधन को लेकर सरकार की अगंभीरता पर सवाल खड़े किए गए हैं।

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