Parliament में तीन कृषि कानून रद्द: Rahul Gandhi बोले-यह किसानों की जीत है, सरकार भयभीत इसलिए चर्चा से भाग रही

PM Modi के गुरुपर्व (Guru Parv) पर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन कानूनों की वापसी का विधेयक पेश कर पास करा लिया गया। यह विधेयक सोमवार दोपहर 12:06 बजे लोकसभा में पेश किया गया और दोपहर 12:10 बजे पारित किया गया।
 

नई दिल्ली। कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों (Three Farm laws) को रद्द किए जाने को किसानों की सफलता और देश की सफलता करार दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों की एकता की जीत है। हालांकि, राहुल गांधी ने बिना किसी चर्चा के केवल चार मिनट में विधेयक को लोकसभा में पारित कराने के कदम पर सवाल उठाया और कहा कि इससे संकेत मिलता है कि सरकार 'भयभीत' है।

दरअसल, पीएम मोदी (PM Modi) के गुरुपर्व (Guru Parv) पर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद संसद (Parliament) के शीतकालीन सत्र (winter session) के पहले दिन कानूनों की वापसी का विधेयक पेश कर पास करा लिया गया। यह विधेयक सोमवार दोपहर 12:06 बजे लोकसभा में पेश किया गया और दोपहर 12:10 बजे पारित किया गया।

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राहुल बोले-एमएसपी पर हम चर्चा करना चाहते थे

राहुल गांधी ने कहा कि हम एमएसपी (MSP) मुद्दे पर चर्चा करना चाहते थे। हम लखीमपुर खीरी घटना पर चर्चा करना चाहते थे। हम इस आंदोलन में मारे गए 700 किसानों पर चर्चा करना चाहते थे और दुर्भाग्य से उस चर्चा की अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने मीडिया से कहा यह सरकार इन चर्चाओं से "भयभीत" है और "छिपाना चाहती है"। 

राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री को अपना विचार बदलने में 700 किसानों की मौत हुई। उन्होंने कहा, "तथ्य यह है कि केंद्र सरकार इस मामले में किसानों द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए भारतीय लोगों की ताकत का सामना नहीं कर सकी। सरकार राज्यों में होने वाले चुनाव को देखते हुए डरकर कानून वापस ली है।

संसद में सवाल भी हों और शांति भी:PM Modi

सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि हर विषय पर चर्चा करने को तैयार हैं। खुली चर्चा करने को तैयार हैं। संसद में सवाल भी हों और शांति भी। सदन और चेयर दोनों का सम्मान होना चाहिए। संसद के इस सत्र को बेहद अहम बताते हुए मोदी ने कहा कि संसद के हर सत्र में देश की प्रगति, देशहित और विकास की चर्चा होनी चाहिए। सदन को कितना अच्छा योगदान दिया, सकारात्मक काम हुआ, मापदंड ये होना चाहिए न कि किसने कितना जोर लगाकर सत्र को रोका।

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