सोशल मीडिया की नई गाइडलाइन को लेकर Twitter और सरकार के बीच चल रही तनातनी के बीच आज संसदीय समिति बैठक करेगी। इसमें Twitter को नागरिकों; खासकर महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर अपने जवाब देगा।
नई दिल्ली. सोशल मीडिया के बढ़ते दुरुपयोग; खासकर फेक और हिंसक कंटेंट्स को वायरल होने से रोकने सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सोशल मीडिया के लिए एक गाइडलाइन बनाई है। इसे लेकर Twitter और सरकार के बीच लंबे समय से तनातनी चली आ रही है। आज ऐसे ही मुद्दे पर संसदीय समिति के सामने Twitter पेश होगा। हालांकि इस बैठक में Twitter को नागरिकों; खासकर महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर अपने जवाब देगा।
Twitter गाइडलाइन को लेकर विवाद कर रहा है
सोशल मीडिया गाइड लाइन का पालन करने में आनाकानी कर रहे ट्विटर ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय (आईटी मिनिस्ट्री) से फाइनल नोटिस मिलने के बाद यू टर्न ले लिया था, लेकिन मुद्दा अभी शांत नहीं हुआ है। इसी विषय में ट्विटर को अपना पक्ष रखने संसद की सूचना और तकनीक की स्थाई संसदीय समिति ने उसे 18 जून को तलब किया है। इसके साथ ही आईटी मिनिस्ट्री के अधिकारी भी सरकार का पक्ष रखेंगे। केंद्र सरकार ने 25 फरवरी को यह गाइडलाइन जारी की थी। से 3 महीने में लागू करना था।
फरवरी से चल रहा विवाद
ट्विटर और सरकार के बीच तनातनी फरवरी से चल रही है। किसान आंदोलन को लेकर ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी को लेकर भद्दी आलोचनाएं पब्लिश हो रही थीं। आईटी मिनिस्ट्री ने ट्विटर ने यह कंटेंट ब्लॉक करने को कहा था। लेकिन ट्विटर ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताकर विवाद खड़ा कर दिया था। संसदीय समिति के समक्ष ट्वीटर को तमाम मुद्दों के अलावा महिलाओं की सुरक्षा संबंधी उपायों के बारे में भी बताना होगा। समिति की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद शशि थरूर करेंगे।
सरकार ने यह जारी की थी गाइडलाइन
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