Passive स्मोकिंग भी है फेफड़ों की बीमारियों के लिए बराबर है जिम्मेदार, जानें कैसे पहुंचता है नुकसान? स्टडी में हुआ खुलासा

आज की दुनिया में लोग काफी ज्यादा मात्रा में स्मोकिंग करते हैं। आज कल न सिर्फ बड़े-बुर्जुग लोग इसके शिकार है, बल्कि कम उम्र के युवा लोग भी इस आदत के शिकार है। हालांकि, स्मोकिंग दो प्रकार की होती है। एक एक्टिव स्मोकिंग और दूसरी पैसिव स्मोकिंग।

स्मोकिंग। आज की दुनिया में लोग काफी ज्यादा मात्रा में स्मोकिंग करते हैं। आज कल न सिर्फ बड़े-बुर्जुग लोग इसके शिकार है, बल्कि कम उम्र के युवा लोग भी इस आदत के शिकार है। हालांकि, स्मोकिंग दो प्रकार की होती है। एक एक्टिव स्मोकिंग और दूसरी पैसिव स्मोकिंग। एक्टिव स्मोकिंग में लोग सीधे तौर पर स्मोक करते हैं, बल्कि पैसिव स्मोकिंग में लोग एक्टिव स्मोकर के धुंए को जाने-अनजाने में हवा के माध्यम से लेते हैं। इसी पर CMRI  कोलकाता के पल्मोनोलॉजी विभाग के सलाहकार, डॉ. श्याम कृष्णन ने एक रिपोर्ट के हवाले से जानकारी दी है कि सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से फेफड़ों के स्वास्थ्य पर गहरा और स्थायी प्रभाव पड़ सकता है। खासकर वैसे लोगों को जो, बच्चे और बुर्जुग है।

पैसिव स्मोकिंग के अपने ही साइड इफेक्ट हैं, जिसकी वजह से आम लोगों के हेल्थ पर खासा असर पड़ता है। हमें इसके लिए समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। पैसिव स्मोकिंग का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है। सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से फेफड़े के कमजोर होने का खतरा बना रहता है। जिससे ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया सहित कई सास संबधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों की लिस्ट लंबी होती है। इस हालत में खांसी, घरघराहट और कान चिपकने की समस्या आम हो गई है।

Latest Videos

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग की वजह से अस्थमा का खतरा

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग की वजह से अस्थमा होने का दर बढ़ता जा रहा है। रिसर्च से पता चला है कि बच्चों में पैसिव स्मोकिंग की वजह से अस्थमा के लक्षण, बार-बार दौरे पड़ने और अस्थमा की दवाओं पर निर्भरता बढ़ने की संभावना अधिक होती है। ये एक गंभीर समस्या है, जिसे हमारे बच्चों को बचाना बेहद जरूरी हो गया है। पैसिव स्मोकिंग की वजह से फेफड़ों की काम करने की क्षमता में कमी दिखी गई है। इसकी वजह से फेफड़ों के रास्तों में रुकावट पैदा होता है। हमें सेकेंड-हैंड धुएं के जोखिम को कम करने और अपने समुदायों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। जागरूकता बढ़ाकर, धूम्रपान-मुक्त नीतियों को लागू करके ऐसा कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें: होली के रंग से हो जाए एलर्जी, तो ये होम रेमेडीज आएगी काम, नहीं होगी जलन

Share this article
click me!

Latest Videos

अब नहीं चलेगा मनमाना बुलडोजर, SC के ये 9 रूल फॉलो करना जरूरी । Supreme Court on Bulldozer Justice
'देश किसी पार्टी की बपौती नहीं...' CM Yogi ने बताया भारत को गाली देने वालों को क्या सिखाएंगे सबक
LIVE: महाराष्ट्र के गोंदिया में राहुल गांधी का जनता को संबोधन
'गद्दार' सुन रुके CM एकनाथ शिंदे, गुस्से में पहुंचे Congress दफ्तर | Chandivali
टीम डोनाल्ड ट्रंप में एलन मस्क और भारतवंशी रामास्वामी को मौका, जानें कौन सा विभाग करेंगे लीड