Pegasus Spyware Case: राहुल गांधी बोले-SC ने उनके सवालों पर लगाई मुहर, जासूसी कौन करा रहा देश को जानने का हक

Pegasus Spyware Case में 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम आदेश जारी किया है। SC ने जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में काम करेगी।

Asianet News Hindi | Published : Oct 27, 2021 11:53 AM IST

नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र (Mansoon session)में प्रमुख मुद्दा रहे पेगासस जासूसी कांड (Pegasus Spyware Case) का मुद्दा एक बार फिर गरमाता दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पेगासस स्पाईवेयर पर केंद्र सरकार को खरी-खोटी सुनाते हुए एक जांच कमेटी गठित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi)ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला है।

राहुल गांधी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज हमारे सवालों पर मुहर लगा दी है। पेगासस स्पाइवेयर पूरी तरह से लोकतंत्र पर हमला है। हमने संसद सत्र के दौरान तीन सवाल पूछे थे। पहला- पेगासस को किसने खरीदा?, दूसरा-इसे भारत कौन लाया?, तीसरा- क्या इसका डेटा किसी और देश के पास भी है?

राहुल गांधी ने शाम को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पूरे मामले में केंद्र सरकार लोगों को धोखा दे रही है। गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी है, लेकिन सरकार कुछ भी बताना नहीं चाहती। 

कोर्ट ने बुधवार को सरकार की मांग को खारिज कर कमेटी की गठित

Pegasus Spyware Case में 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम आदेश जारी किया है। SC ने जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में काम करेगी। 8 हफ्ते बाद फिर इस मामले में सुनवाई की जाएगी। इस तीन सदस्यीय कमेटी में पूर्व IPS अफसर आलोक जोशी और इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ स्टैंडर्डाइजेशन सब-कमेटी के चेयरमैन डॉ. संदीप ओबेरॉय भी शामिल किए गए हैं।

अदालत ने 3 टेक्निकल कमेटी भी गठित की हैं। इसमें साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल फोरेंसिंक के प्रोफेसर डॉ. नवीन कुमार चौधरी, इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. प्रभाकरन पी और कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अश्विन अनिल गुमस्ते को शामिल किया गया है

निष्पक्ष जांच के लिए कई पेटीशन थे दायर

इस मामले की निष्पक्ष जांच को लेकर सीनियर जर्नलिस्ट एन राम (Senior Journalist N.Ram), सांसद जॉन ब्रिटास (John Britas)और यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) सहित 15 लोगों ने याचिकाएं (petitions) दाखिल कर रखी हैं।

केंद्र सरकार चाहती थी सरकारी कमेटी

केंद्र सरकार ने इस मामले में निष्पक्ष टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इसका विरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही संकेत दिए थे कि वो अपनी तरफ से कमेटी का गठन कर सकता है। 23 सितंबर को चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा था कि वे एक कमेटी का गठन करना चाहते हैं, लेकिन कुछ विशेषज्ञों ने निजी कारणों से कमेटी में शामिल होने से मना कर दिया था। इसके चलते आदेश जारी होने में देरी हो रही है।

यह है पेगासस जासूसी केस

19 जुलाई 2021 को, एक भारतीय समाचार पोर्टल सहित 17 अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठनों के एक ग्रुप ने पेगासस प्रोजेक्ट नाम के दुनिया भर के फोन नंबरों की लीक हुई सूची के बारे में एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। लीक की गई सूची में ये नंबर कथित तौर पर इजरायल के एनएसओ ग्रुप द्वारा बेचे गए पेगासस स्पाइवेयर द्वारा हैक किए गए थे। हैक किए जाने वाले फोन की 'टारगेट लिस्ट' हैं। लक्ष्य सूची में 136 प्रमुख राजनेताओं, न्यायाधीशों, पत्रकारों, व्यापारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि की संख्या शामिल है।

एनएसओ ग्रुप, जो ‘पेगासस स्पाइवेयर‘ का मालिक है, पर व्हाट्सएप और फेसबुक द्वारा 2019 में यूएस कैलिफोर्निया कोर्ट के समक्ष दूरस्थ निगरानी करने के लिए अपने प्लेटफॉर्म का शोषण करने के लिए मुकदमा दायर किया गया था। एनएसओ ने बताया था कि उसके उत्पाद केवल सरकारों और राज्य एजेंसियों को बेचे गए थे। 

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