पेगासस केस: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला; सॉफ्टवेयर की खरीदी पर रोक लगाने और SIT से जांच की मांग

इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिये कथित तौर पर देश-दुनिया के कई प्रमुख लोगों की जासूसी कराए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। 

नई दिल्ली. पेगासस जासूसी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने खुलासा किया था कि पेगासस के जरिये भारत में 300 से अधिक मोबाइल नंबर हैक किए गए थे। इस मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम(SIT) से कराने  और सॉफ्टवेयर की खरीदी पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।

केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी
इस मामले को लेकर एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। वहीं, इससे पहले कांग्रेस संयुक्त संसदीय समिति(JPC) से जांच की मांग उठा चुकी है। हालांकि सरकार ने संसद में इस मामले को एक सिरे से खारिज कर दिया है।

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यह है पूरा मामला
एनएसओ ग्रुप (NSO Group) एक प्राइवेट इजरायली साइबर सिक्योरिटी फर्म है। 18 जुलाई को मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि स्पाइवेयर पेगासस (spyware Pegasus) द्वारा जासूसी की जा रही है। कई मीडिया आउटलेट्स ने दावा किया कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल "पुष्टि किए गए क्लाइंट" द्वारा भारत सहित दुनिया भर में भारत के व्यक्तियों के फोन में जासूसी करने के लिए किया गया था।  अब इस प्रोग्राम को डवलेप करने वाली इजरायली निगरानी कंपनी ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।

एनएसओ ग्रुप  ने बताया था भ्रामक
एनएसओ समूह ने इन आरोपों को भ्रामक और झूठा बताया था। बयान में कहा गया कि पेरिस स्थित पत्रकारिता गैर-लाभकारी फॉरबिडन स्टोरीज की रिपोर्ट "गलत धारणाओं और अपुष्ट सिद्धांतों" से भरी हुई है जो गंभीर संदेह पैदा करती है। विश्वसनीयता और हितों के बारे में। रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों से इनकार करते हुए, एनएसओ ग्रुप ने कहा कि सहायक दस्तावेजों की कमी से पता चलता है कि उनके स्रोतों द्वारा फॉरबिडन स्टोरीज को दी गई जानकारी में कोई तथ्य नहीं है।

कंपनी ने दावा किया कि "एचआरएल लुकअप सेवाओं जैसी सुलभ बुनियादी जानकारी से डेटा की भ्रामक व्याख्या पर आधारित हैं। जो किसी के लिए भी, कहीं भी, कभी भी खुले तौर पर उपलब्ध हैं और आमतौर पर सरकारी एजेंसियों और निजी कंपनियों द्वारा कई कारणों से उपयोग किया जाता है।' 

कंपनी ने यह भी कहा कि डेटा लीक के दावे एक पूर्ण झूठ थे क्योंकि इस तरह के डेटा उनके किसी भी सर्वर पर मौजूद नहीं थे और क्लाइंट के रूप में उल्लिखित कुछ राष्ट्रों की पेगासिस तक कोई पहुंच नहीं थी। इज़राइली फर्म ने दोहराया कि पेगासस तकनीक केवल कानून प्रवर्तन और "जांच की गई सरकारों" की खुफिया एजेंसियों को बेची जाती है ताकि अपराध और आतंकवादी कृत्यों को रोककर जीवन की रक्षा की जा सके।

अब यह भी जानें
रिलीज फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दावा किया है कि पेगासस का इस्तेमाल लगभग 300 भारतीयों पर निगरानी करने के लिए किया गया होगा, जिसमें दो सेवारत केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, तीन विपक्षी नेता, सरकारी अधिकारी और लगभग 40 पत्रकार शामिल हैं। रिपोर्ट में लीक हुए डेटाबेस का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि स्पाइवेयर का उपयोग करके वैश्विक स्तर पर लगभग 50,000 लोगों के फोन को निशाना बनाया गया।

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