Pegasus Spyware: इजराइली राजदूत बोले: एनएसओ किसी भी गैर-सरकारी संस्था को साफ्टवेयर नहीं बेच सकता

इजरायली राजदूत की यह टिप्पणी, इजरायली एनएसओ ग्रुप के स्पाईवेयर पेगासस का उपयोग कर अनधिकृत निगरानी के आरोपों पर सवालों के बाद आई है। इजरायली दूत ने कहा कि भारत में पेगासस को लेकर जो कुछ हो रहा है वह देश का आंतरिक मामला है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 28, 2021 4:21 PM IST

नई दिल्ली। भारत में पेगासस जासूसी कांड (Pegasus Spyware) पर उठे विवाद और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा जांच कमेटी गठित किए जाने के बाद इजरायल (Israel) के भारत में नवनियुक्त राजदूत नाओर गिलोन ने साफ किया है कि एनएसओ (NSO) जैसी कंपनियां जो पेगासस साफ्टवेयर (Pegasus Software) बनाती हैं, वह अपने प्रोडक्ट को किसी भी गैर-सरकारी व्यक्ति या संस्था को नहीं बेच सकती हैं। हालांकि, भारत में उठे इस पर विवाद को उन्होंने आतंरिक मामला करार दिया है।

उन्होंने कहा "मैं अधिक विवरण में नहीं जाऊंगा ... एनएसओ एक निजी इजरायली कंपनी है। एनएसओ या ऐसी कंपनियों के हर निर्यात को इजरायल सरकार के निर्यात लाइसेंस की आवश्यकता होती है। हम यह निर्यात लाइसेंस केवल सरकारों को निर्यात करने के लिए देते हैं।" 

हालांकि, उन्होंने कहा, "एनएसओ किसी भी गैर-सरकारी के साथ समझौता नहीं कर सकता... आवश्यकताओं के तहत, वे इसे गैर-सरकारी संस्था या व्यक्ति को नहीं बेच सकते। परंतु भारत में यहां जो हो रहा है वह भारत के लिए एक आंतरिक चीज है।"

इजरायली राजदूत की यह टिप्पणी, इजरायली एनएसओ ग्रुप के स्पाईवेयर पेगासस का उपयोग कर अनधिकृत निगरानी के आरोपों पर सवालों के बाद आई है। इजरायली दूत ने कहा कि भारत में पेगासस को लेकर जो कुछ हो रहा है वह देश का आंतरिक मामला है।

कोर्ट ने बुधवार को सरकार की मांग को खारिज कर कमेटी की गठित

Pegasus Spyware Case में 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम आदेश जारी किया है। SC ने जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में काम करेगी। 8 हफ्ते बाद फिर इस मामले में सुनवाई की जाएगी। इस तीन सदस्यीय कमेटी में पूर्व IPS अफसर आलोक जोशी और इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ स्टैंडर्डाइजेशन सब-कमेटी के चेयरमैन डॉ. संदीप ओबेरॉय भी शामिल किए गए हैं।

अदालत ने 3 टेक्निकल कमेटी भी गठित की हैं। इसमें साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल फोरेंसिंक के प्रोफेसर डॉ. नवीन कुमार चौधरी, इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. प्रभाकरन पी और कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अश्विन अनिल गुमस्ते को शामिल किया गया है

निष्पक्ष जांच के लिए कई पेटीशन थे दायर

इस मामले की निष्पक्ष जांच को लेकर सीनियर जर्नलिस्ट एन राम (Senior Journalist N.Ram), सांसद जॉन ब्रिटास (John Britas)और यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) सहित 15 लोगों ने याचिकाएं (petitions) दाखिल कर रखी हैं।

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