बाली में G20 शिखर सम्मेलन के डिनर में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच क्या बात हुई? चीनी दावे के बाद MEA का खुलासा

भारत-चीन के बीच विवाद और तल्खी के बीच जोहान्सबर्ग में एनएसए अजीत डोभाल और चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी के बीच मीटिंग हुई है।

PM Modi and Xi Jinping meet at 2022 G20 Dinner: इंडोनेशिया की राजधानी बाली में 2022 के जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने डिनर पार्टी दी थी। बीते साल के इस कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी। दोनों नेताओं ने डिनर के दौरान हैंडशेक किया और बातचीत हुई थी। इस मुलाकात की चर्चा एक बार फिर हो रही है। बातचीत के बारे में तमाम कयासों के बीच भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि दोनों नेताओं के बीच किस मुद्दे पर चर्चा हुई।

क्यों 2022 के जी20 शिखर सम्मेलन के डिनर की चर्चा?

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भारत-चीन के बीच विवाद और तल्खी के बीच जोहान्सबर्ग में एनएसए अजीत डोभाल और चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी के बीच मीटिंग हुई है। इस मीटिंग में दोनों पक्षों ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की है। इस मीटिंग के बाद दो दिन पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि शी और पीएम मोदी जी20 शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने पर महत्वपूर्ण सहमति पर पहुंचे थे।

भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया-शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच क्या बातचीत हुई?

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले साल बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान रात्रिभोज में शिष्टाचार का आदान-प्रदान किया था। दोनों ने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने की आवश्यकता पर बात की थी। बागची ने कहा कि पिछले साल बाली जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने डिनर दिया था। डिनर के समापन पर प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शिष्टाचार मुलाकात की थी। मई 2020 में भारत-चीन सीमा गतिरोध शुरू होने के बाद सार्वजनिक रूप से यह उनका पहला आदान-प्रदान था।

डोभाल से 24 जुलाई को जोहान्सबर्ग में वांग से मुलाकात

अजीत डोभाल ने 24 जुलाई को जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स एनएसए की बैठक के मौके पर वांग से मुलाकात की थी। मीटिंग में डोभाल ने बताया कि 2020 से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर स्थिति ने रणनीतिक विश्वास, रिश्ते के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को खत्म कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि एनएसए ने स्थिति को पूरी तरह से हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयासों के महत्व पर जोर दिया। इससे ही द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सकेगा। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि क्षेत्र और दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण है।

गलवान घाटी में झड़प के बाद दोनों देशों के बीच कड़वाहट

जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी कड़वाहट आई। पिछले दो दशकों से दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर संघर्ष था।

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