प्रधानमंत्री नरेंद मोदी(PM Narendra Modi) ने 17 नवंबर को पीठासीन अधिकारियों (Presiding Officers) के 82वें अखिल भारतीय सम्मेलन(All India Conference) को वर्चुअली संबोधित किया।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi) ने सदन की गरिमा को बनाए रखने के लिए Quality Debate पर जोर दिया है। वे 17 नवंबर को शिमला में आयोजित पीठासीन अधिकारियों (Presiding Officers) के 82वें अखिल भारतीय सम्मेलन(All India Conference) को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन में 'संविधान, सभा और जनता के प्रति पीठासीन अधिकारियों की जिम्मेदारी' विषय पर विचार-विमर्श किया गया।
सदन में कोई किसी पर राजनीतिक छींटाकशी न करे
मोदी ने कहा-हमारे सदन की परम्पराएं और व्यवस्थाएं स्वभाव से भारतीय हों, हमारी नीतियां, कानून भारतीयता के भाव को, ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को मजबूत करने वाले हों, सबसे महत्वपूर्ण, सदन में हमारा खुद का भी आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो। ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है। हमारा देश विविधताओं से भरा है। अपनी हजारों वर्ष की विकास यात्रा में हम इस बात को अंगीकृत कर चुके हैं कि विविधता के बीच भी, एकता की भव्य और दिव्य अखंड धारा बहती है। एकता की यही अखंड धारा, हमारी विविधता को संजोती है, उसका संरक्षण करती है। क्या साल में 3-4 दिन सदन में ऐसे रखे जा सकते हैं जिसमें समाज के लिए कुछ विशेष कर रहे जनप्रतिनिधि अपना अनुभव बताएं, अपने समाज जीवन के इस पक्ष के बारे में भी देश को बताएं।
Quality Debate पर जोर
पीएम मोदी ने कहा-आप देखिएगा, इससे दूसरे जनप्रतिनिधियों के साथ ही समाज के अन्य लोगों को भी कितना कुछ सीखने को मिलेगा। हम Quality Debate के लिए भी अलग से समय निर्धारित करने के बारे में सोच सकते हैं क्या? ऐसी डिबेट जिसमें मर्यादा का, गंभीरता का पूरी तरह से पालन हो, कोई किसी पर राजनीतिक छींटाकशी ना करे। एक तरह से वो सदन का सबसे Healthy समय हो, Healthy Day हो। नए सदस्यों को सदन से जुड़ी व्यवस्थित ट्रेनिंग दी जाए। सदन की गरिमा और मर्यादा के बारे में उन्हें बताया जाए। हमें सतत संवाद बनाने पर बल देना होगा। राजनीति के नए मापदंड भी बनाने ही होंगे। इसमे आप सभी भारतीय पीठासीन अधिकारियों की भूमिका भी बहुत अहम है।
मेरा एक विचार ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ का
मोदी ने कहा-मेरा एक विचार ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ का है। एक ऐसा पोर्टल जो न केवल हमारी संसदीय व्यवस्था को जरूरी technological boost दे, बल्कि देश की सभी लोकतान्त्रिक इकाइयों को जोड़ने का भी काम करे। हमारे कानूनों में व्यापकता तभी आएगी जब उनका जनता के हितों में सीधा जुड़ाव होगा। इसके लिए सदन में सार्थक चर्चा और परिचर्चा बहुत जरूरी है। सदन में युवा सदस्यों को, आकांक्षी क्षेत्रों से आने वाले जनप्रतिनिधियों को, महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा मौका मिलना चाहिए। अगले 25 वर्ष, भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसमें हम एक ही मंत्र को चरितार्थ कर सकते हैं क्या - कर्तव्य, कर्तव्य, कर्तव्य।
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