सार

अब जमीन संबंधी विवादों से जल्द छुटकारा मिलने जा रहा है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह(Giriraj Singh) ने नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम  पोर्टल(NGDRS Portal) और डैशबोर्ड लॉन्च किया है। यानी अब हर प्लॉट का अपना यूनिक आधार नंबर होगा।

नई दिल्ली. भूमि विवाद एक बड़ी समस्या है, लेकिन जल्द इससे छुटकारा मिल जाएगा। 16 नवंबर को केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह (Rural Development and Panchayati Raj Minister Giriraj Singh) ने  नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम  पोर्टल(NGDRS Portal) और डैशबोर्ड लॉन्च किया है। यानी अब हर प्लॉट का अपना यूनिक आधार नंबर होगा। मंत्री ने कहा कि जब सम्पूर्ण भारत में  विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या (ULPIN) का क्रियान्वयन हो जाएगा, तो अधिकांश भूमि विवादों का निपटारा हो जाएगा।

‘भूमि संवाद’डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम में बोले मंत्री
गिरिराज सिंह ने 16 नवंबर को इंडिया हैबिटेट सेंटर में ‘भूमि संवाद’-डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया था। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री ने नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (NGDRS) पोर्टल और डैशबोर्ड का भी शुभारंभ किया। विभिन्न राज्यों के मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने भूमि प्रबंधन, भूमि अधिग्रहण और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करने वाले राज्यों से अन्य राज्यों को सीखने और उन्हें अपनाने का आह्वान किया। मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकारों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की सराहना करने और प्रोत्साहित करने के लिए भूमि संसाधन विभाग ने राष्ट्रीय भूमि प्रबंधन पुरस्कार-2021 और बुनियादी ढांचे के लिए भूमि अधिग्रहण की सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर राज्यों की राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग भी शुरू की है।

आधार नंबर की तरह होगा प्लॉट का नंबर
विशिष्ट भू खंड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) के महत्व के बारे में बात करते हुए मंत्री ने कहा कि यह एक प्रकार से भूखंड के आधार नंबर की तरह है। उन्होंने कहा कि इस अनूठी प्रणाली में भूखंड के लिए भू-निर्देशांक के आधार पर एक विशिष्ट पहचान संख्या तैयार की जाती है और उक्त भूखंड की पहचान के लिए इसे अंकित किया जाता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत कम्प्यूटरीकृत डिजिटल भूमि रिकॉर्ड देश के विभिन्न राज्यों/ केंद्र शासित क्षेत्रों के बीच साझा करने और देश भर में भूखंडों को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करने की एक समान प्रणाली के लिए की गई है। अब तक इसे 13 राज्यों में लागू किया जा चुका है और 6 राज्यों में प्रायोगिक परीक्षण किया जा चुका है। विभाग ने चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2021-22) के अंत तक पूरे देश के भूखंडों को विशिष्ट पहचान संख्या आवंटित करने की प्रक्रिया को पूरा करने का निर्णय लिया है। उन्‍होंने कहा कि जब यह व्यवस्था पूरे देश में लागू हो जाएगी तो अधिकांश भूमि विवाद अपने आप सुलझ जाएंगे।

कम्प्यूटराइजेशन तेजी से
कार्यक्रम में बताया गया कि देश के कुल 656190 गांवों में से 600811 गांवों के भूमि अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण का कार्य पूरा हो गया है। कुल 1.63 करोड़ राजस्व मानचित्रों / एफएमबी में से 1.11 करोड़ मानचित्रों के डिजिटलीकरण का कार्य पूरा हो गया है। कुल 5220 उप पंजीयक कार्यालय की तुलना में 4883 कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण पूरा हो गया है। उप पंजीयक कार्यालयों और राजस्व कार्यालयों के एकीकरण अभियान में 3975 कार्यालयों का एकीकरण किया जा चुका है, जबकि कुल कार्यालयों की संख्या 5220 है, कुल 6712 तहसील/राजस्व कार्यालयों की तुलना में 2508 तहसील/राजस्व कार्यालयों में आधुनिक अभिलेख कक्ष की स्थापना पूरी हो चुकी है और देश के कुल 656190 गांवों की तुलना में 74789 गांवों में सर्वेक्षण/ पुनः सर्वेक्षण का कार्य पूरा किया जा चुका है।

यह भी पढ़ें
Railway : जनरल टिकट में AC का सफर कराएगी रेलवे, सभी कोच होंगे एयरकंडीशंड
Rakesh Jhunjhunwala की Akasa Air ने दिए 72 बोइंग के 9 बिलियन डॉलर में आर्डर, भारत में एयरलाइन को मिली मंजूरी
Kartarpur Sahib Corridor: गुरुनानक जयंती पर खुशखबरी, आज से करतारपुर गुरुद्वारे जा सकेंगे श्रद्धालु