Mann ki baat : इस बार वोकल फॉर लोकल होली मनाएं, यह आपके आसपास रहने वालों के जीवन में रंग भर देगा : मोदी

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Narendra Modi) ने मन की बात कर रहे हैं। यह मन की बात (Mann ki baat)का 86वां संस्करण है। इस दौरान उन्होंने इटली से लाई गई हनुमान जी की प्रतिमा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आज ‘मन की बात’ की शुरुआत हम, भारत की सफलता के जिक्र के साथ करेंगे। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 27, 2022 5:52 AM IST / Updated: Feb 27 2022, 12:11 PM IST

नई दिल्ली। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Narendra Modi) ने मन की बात कर रहे हैं। यह मन की बात (Mann ki baat)का 86वां संस्करण है। इस दौरान उन्होंने इटली से लाई गई हनुमान जी की प्रतिमा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आज ‘मन की बात’ की शुरुआत हम, भारत की सफलता के जिक्र के साथ करेंगे। इस महीने की शुरुआत में भारत, इटली से अपनी एक बहुमूल्य धरोहर को लाने में सफल हुआ है। ये धरोहर है, अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की हजार साल से भी ज्यादा पुरानी प्रतिमा। मोदी ने कहा कि ये मूर्ति कुछ वर्ष पहले बिहार में गया जी के देवी स्थान कुंडलपुर मंदिर से चोरी हो गई थी। काफी प्रयासों के बाद अब भारत को ये प्रतिमा वापस मिल गई है। उन्होंने कहा- इन मूर्तियों में भारत की आत्मा का, आस्था का अंश है। इनका एक सांस्कृतिक-ऐतिहासिक महत्व भी है। इस दायित्व को समझते हुए भारत ने अपने प्रयास बढ़ाए। मोदी ने लोगों से होली और अन्य त्योहारों में वोकल फॉर लोकल (Vocal for Local) अपनाने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे आप अपने आसपास के लोगों के जीवन में रंग भर देंगे।

सभी देशों ने हमारी भावनाओं को समझा 
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसे ही कुछ वर्ष पहले तमिलनाडु के वेल्लूर से भगवान आंजनेय्यर, हनुमान जी की प्रतिमा चोरी हो गई थी। हनुमान जी की ये मूर्ति भी 600-700 साल पुरानी थी। इस महीने की शुरुआत में, ऑस्ट्रेलिया में हमें ये मिली। उन्होंने कहा कि साल 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं भारत आई थीं। लेकिन, पिछले सात साल में 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को, भारत, सफलता के साथ वापस ला चुका है। अमेरिका, ब्रिटेन, हॉलैंड, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, सिंगापुर, ऐसे कितने ही देशों ने भारत की इस भावना को समझा है और मूर्तियां वापस लाने में हमारी मदद की है।

भारतीय संगीत का जिक्र
मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय संगीत के जादू की बात की। उन्होंने कहा - मुझे याद है, कुछ वर्ष पहले दुनिया के 150 से ज्यादा देशों के गायकों-संगीतकारों ने अपने-अपने देश में, अपनी-अपनी वेशभूषा में पूज्य बापू का प्रिय, महात्मा गांधी (Mahatma gandhi) का प्रिय भजन, वैष्णव जन गाने का सफल प्रयोग किया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर भारतीय संस्कृति का भी जिक्र किया। कहा- इन दिनों फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर तंजानिया के दो भाई-बहन किलि पॉल और उनकी बहन नीमा बहुत चर्चा में हैं। उनके अंदर भारतीय संगीत को लेकर एक जुनून है। उनके Lip Sync के उनके तरीके से पता चलता है कि इसके लिए वे कितनी ज्यादा मेहनत करते हैं। हाल ही में, गणतन्त्र दिवस के अवसर पर हमारा राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ गाते हुए उनका वीडियो खूब वायरल हुआ था। कुछ दिन पहले उन्होंने लता दीदी का एक गाना गाकर उनको भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि भी दी थी। मैं इस अद्भुत Creativity के लिए इन दोनों भाई-बहन किलि और नीमा उनकी बहुत सराहना करता हूं।  

तंजानिया के बच्चे गा सकते हैं तो हमारे बच्चे क्यों नहीं 
अगर तंजानिया में किलि और नीमा भारत के गीतों को इस प्रकार से Lip Sync कर सकते हैं तो क्या मेरे देश में, हमारे देश की कई भाषाओं में, कई प्रकार के गीत हैं क्या हम कोई गुजराती बच्चे तमिल गीत पर करें, कोई केरल के बच्चे असमिया गीत पर करें, कोई कन्नड़ बच्चे जम्मू-कश्मीर के गीतों पर करें। एक ऐसा माहौल बना सकते हैं हम, जिसमें ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ हम अनुभव कर सकेंगे। मैं देश के नौजवानों से आह्वाहन करता हूं, आइए, कि भारतीय भाषाओं के जो पॉपुलर गीत हैं उनको आप अपने तरीके से video बनाइए, बहुत popular हो जाएंगे आप। और देश की विविधताओं का नई पीढ़ी को परिचय होगा।    

जैसे अपनी मां को नहीं छोड़ सकते, वैसे ही मातृभाषा को भी नहीं 
कुछ दिन पहले ही, हमने, मातृभाषा दिवस मनाया। जो विद्वान लोग हैं, वो मातृभाषा शब्द कहां से आया, इसकी उत्त्पति कैसे हुई, इसे लेकर बहुत एकेडमिक इनपुट दे सकते हैं। मैं तो मातृभाषा के लिए यही कहूंगा कि जैसे हमारे जीवन को हमारी मां गढ़ती है, वैसे ही, मातृभाषा भी, हमारे जीवन को गढ़ती है। मां और मातृभाषा, दोनों मिलकर जीवन की नींव को मजबूत बनाते हैं, चिरंजीव बनाते हैं। जैसे, हम अपनी मां को नहीं छोड़ सकते, वैसे ही, अपनी मातृभाषा को भी नहीं छोड़ सकते। 

भारत के लोग 121 मातृभाषाओं से जुड़े 
भारत के लोग 121 तरह की मातृ भाषाओं से जुड़े हुए हैं और इनमे 14 भाषाएं तो ऐसी हैं जो एक करोड़ से भी ज्यादा लोग रोजमर्रा की जिंदगी में बोलते हैं। यानी, जितनी कई यूरोपियन देशों की कुल जनसंख्या नहीं है, उससे ज्यादा लोग हमारे यहां अलग-अलग 14 भाषाओं से जुड़े हुए हैं। साल 2019 में, हिंदी दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे नंबर पर थी। इस बात का भी हर भारतीय को गर्व होना चाहिए। अपनी भाषा की विरासत को सहेजने का ऐसा ही काम सूरीनाम में सुरजन परोही जी कर रहे हैं। इस महीने की 2 तारीख को वो 84 वर्ष के हुए हैं। उनके पूर्वज भी बरसों पहले, हज़ारों श्रमिकों के साथ, रोजी-रोटी के लिए सूरीनाम गए थे। सुरजन परोही जी हिन्दी में बहुत अच्छी कविता लिखते हैं, वहां के राष्ट्रीय कवियों में उनका नाम लिया जाता है। यानी, आज भी उनके दिल में हिन्दुस्तान धड़कता है, उनके कार्यों में हिन्दुस्तानी मिट्टी की महक है। सूरीनाम के लोगों ने सुरजन परोही जी के नाम पर एक संग्रहालय भी बनाया है। मेरे लिए ये बहुत सुखद है कि साल 2015 में मुझे उन्हें सम्मानित करने का अवसर मिला था।

केन्या के पूर्वी पीएम की बेटी के इलाज का जिक्र
मोदी ने बताया कि केन्या (Kenya) के पूर्व प्रधानमंत्री राइला ओडिंगा जी की बेटी की आंखांे की रोशनी एक ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन की वजह से चली गई थी। दुनिया भर के अस्पतालों में जब इलाज नहीं हो सका तो वे केरल आए और यहां आयुर्वेदिक इलाज करवाया। आज उनकी बेटी की आंखों की रोशनी काफी हद तक वापस आ चुकी है। 

श्रीनगर की झीलों की सफाई अभियान को सराहा 
मोदी ने कश्मीर में मिशन जल थल नाम के आंदोलन का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जनभागीदारी के साथ-साथ इसमें तकनीक की भी बहुत मदद ली जा रही है। मिशन के तहत पुराने Water Channels और झील को भरने वाले 19 झरनों को रीस्टोर किया गया। इससे वहां प्रवासी पक्षियों और मछलियों की संख्या बढ़ी है। 

असम के कोकराझार में हरित कोकराझार शुरू किया
असम के कोकराझार के मॉर्निंग वॉक करने वालों के हरित हरित कोकराझार मिशन शुरू किया है। यह बहुत प्रशंसनीय पहल है। इन्होंने तीन फ्लाईओवर की तीन किमी लंबी सड़क की सफाई कर प्रेरक संदेश दिया है। विशाखापट्नम में स्वच्छ भारत अभियान के तहत पॉलीथिन के बजाए कपड़े के थैलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। मुंबई के Somaiya College के छात्रों ने रेलवे स्टेशन की दीवारों को सुन्दर पेंटिंग्स से सजाया है। राजस्थान के सवाई माधोपुर के युवाओं ने रणथंभौर में ‘Mission Beat Plastic’ नाम का अभियान चला रखा है।  | 

महिलाएं प्रगतिशील प्रयासों का नेतृत्व कर रहीं
मोदी ने 8 मार्च को आने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का जिक्र करते हुए कहा कि महिलाओं ने हर जगह मोर्चा संभाला हुआ है। पिछले महीने गणतंत्र दिवस पर हमने देखा कि  आधुनिक फाइटर प्लेन (fighter planes) को भी बेटियां उड़ा रही हैं। देश ने सैनिक स्कूलों में भी बेटियों के प्रवेश पर रोक हटाई है।जब से ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून आया है देश में तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई है। ये इतने सारे बदलाव इतने कम समय में कैसे हो रहे हैं ? ये परिवर्तन इसलिए आ रहा है, क्योंकि हमारे देश में परिवर्तन और प्रगतिशील प्रयासों का नेतृत्व अब खुद महिलाएं कर रही हैं। 

होली पर स्थानीय उत्पादों की खरीद करें 
मोदी ने महाशिवरात्रि (Mahashivratri) और होली (Holi)का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अब कुछ दिन बाद आप सब होली की तैयारी में जुट जाएंगे। उन्होंने कहा कि  ‘Vocal for Local’ के साथ त्योहार मनाना है। आप त्योहारों पर स्थानीय उत्पादों की खरीदी करें, जिससे आपके आसपास रहने वाले लोगों के जीवन में भी रंग भरे, रंग रहे, उमंग रहे। हमारा देश जितनी सफलता से कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, और, आगे बढ़ रहा है, उससे त्योहारों में जोश भी कई गुना हो गया है। इसी जोश के साथ हमें अपने त्योहार मनाने हैं, और साथ ही, अपनी सावधानी भी बनाए रखनी है। मैं आप सभी को आने वाले पर्वों की ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं।  


   
अमेरिका में देखा मातृभाषा के प्रति प्रेम 
मुझे बरसों पहले की एक बात याद है, जब, मुझे अमेरिका जाना हुआ, तो, अलग-अलग परिवारों में जाने का मौका मिलता था। एक बार मेरा एक तेलुगू परिवार में जाना हुआ और मुझे एक बहुत खुशी का दृश्य वहां देखने को मिला। उन्होंने मुझे बताया कि हम लोगों ने परिवार में नियम बनाया है कि कितना ही काम क्यों न हो, लेकिन अगर हम शहर के बाहर नहीं हैं तो परिवार के सभी सदस्य डिनर टेबल पर बैठकर साथ में लेंगे और दूसरा डिनर की टेबल पर अनिवार्य रूप से हर कोई तेलुगू भाषा में ही बोलेगा। जो बच्चे वहां पैदा हुए थे, उनके लिए भी ये नियम था। अपनी मातृभाषा के प्रति ये प्रेम देखकर इस परिवार से मैं बहुत प्रभावित हुआ था।

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