SC के फैसले के 87 दिन बाद श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र नाम के ट्रस्ट का ऐलान, एक दलित सहित 15 ट्रस्टी होंगे

संसद के बजट सत्र में आज यानी बुधवार को पीएम मोदी ने राम मंदिर ट्रस्ट को मंजूरी देने का प्रस्ताव पेश किया। इससे पहले इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिली। ट्रस्ट का नाम होगा राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट।

Asianet News Hindi | Published : Feb 5, 2020 5:41 AM IST / Updated: Feb 05 2020, 12:18 PM IST

नई दिल्ली. संसद के बजट सत्र में आज यानी बुधवार को पीएम मोदी ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने राम जन्मभूमि से जुड़ा विषय मेरे दिल के करीब रहा है। पीएम मोदी कैबिनेट से आज राम मंदिर ट्रस्ट को मंजूरी मिल गई है। इसका ऐलान संसद में पीएम मोदी ने किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 87 दिन बाद इसकी रूपरेखा तैयार कर देश के सामने पेश किया गया। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए ट्रस्ट का नाम होगा राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र होगा।  

क्या कहा पीएम मोदी ने 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा कि 67.03 एकड़ जमीन ट्रस्ट को दी जाएगी।  'भगवान श्री राम की स्थिली पर भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट पूर्ण रूप से ऑथराइज्ड होगा।' साथ ही उन्होंने कहा, 'सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने के लिए यूपी सरकार से अनुरोध किया गया है। उन्होंने इस पर कार्य तेज कर दिया है।'

लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा, 'सभी धर्म के लोग एक हैं, परिवार के सदस्य सुखी समृद्ध हों और देश का विकास हो, इसीलिए सबका साथ सबका विकास के मंत्र पर चल रहे हैं।' उन्होंने कहा, अयोध्या में राम धाम के निर्माण के लिए सभी लोग एक स्वर में अपना मत दें।

बनेगा भव्य मंदिर 

पीएम मोदी ने कहा, 'अयोध्या में राम जन्मभूमि से जुड़ा है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक उसपर रामलला का अधिकार है। कैबिनेट की बैठक में एक खास फैसला लिया गया। राम जन्मभूमि में मंदिर की निर्माण के लिए योजना तैयार की है।'

उन्होंने कहा, 'श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के लिए प्रस्ताव पारित किया गया है। वहां भव्य और दिव्य मंदिर बनेगा। अयोध्या में 5 एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाएगी। सरकार ने एक और फैसला किया है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को करीब 67 एकड़ जमीन दिया जाएगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह फैसला

9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। 1045 पेज के निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के पांचों जजों की सहमति थी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, अगले चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एसए नजीर ने 9 नवंबर को फैसला सुनाया कि 2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला विराजमान को सौंप दिया जाए। एक ट्रस्ट बनाकर राम मंदिर का निर्माण किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि विवादित जमीन के तीन हिस्से करके निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया जाए। 
 

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