प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को स्वामित्य योजना (SVAMITVA) के तहत 1.32 लाख लोगों को जमीन के मालिकाना हक के कागजात सौपेंगे। सरकार स्वामित्य योजना को ऐतिहासिक कदम बता रही है। इससे गांवों में चले आ रहे जमीनी विवादों को निपटाने में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को स्वामित्य योजना (SVAMITVA) के तहत 1.32 लाख लोगों को जमीन के मालिकाना हक के कागजात सौपेंगे। सरकार स्वामित्य योजना को ऐतिहासिक कदम बता रही है। इससे गांवों में चले आ रहे जमीनी विवादों को निपटाने में मदद मिलेगी। इस योजना के अंतर्गत चार साल में चरणबद्ध तरीक से 6.62 लाख गांव आएंगे। अभी तक सरकार के पास गांव की आबादी की जमीन का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं था। रिकॉर्ड होने के बाद गांवों के लोगों को उनकी जमीन पर बैंक लोन भी मिल सकेगा।
24 अप्रैल को स्वामित्य योजना की शुरुआत की थी
पीएम मोदी ने 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायतराज दिवस पर स्वामित्य योजना की शुरुआत की थी। सरकार का लक्ष्य है कि 2024 तक 6.62 लाख गांवों की आबादी की जमीन का रिकॉर्ड उपलब्ध हो सके।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए होगा कार्यक्रम
ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर उठाए गए इस कदम से गांवों के करोड़ों लोग सशक्त हो जाएंगे। पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लोगों को संपत्ति कार्ड सौपेंगे। योजना की शुरुआत के साथ 1 लाख से ज्यादा लोगों के फोन पर एसएमएस लिंक जाएगी, इसके जरिए वे संपत्ति कार्ड डाउनलोड कर सकेंगे।
इन 763 गांवों में बांटे जाएंगे कार्ड
पीएम मोदी 763 गांवों के लोगों को ये डिजिटल कार्ड देंगे। इनमें उत्तरप्रदेश के 346, हरियाणा के 221, महाराष्ट्र के 100, मध्यप्रदेश के 44, उत्तराखंड के 50 और कर्नाटक के 2 गांव शामिल हैं। महाराष्ट्र को छोड़कर सभी राज्यों में सिर्फ 1 दिन में संपत्ति की डिजिटल कॉपी मिल जाएगी। जबकि महाराष्ट्र में संपत्ति कार्ड के लिए 1 महीने का इंतजार करना होगा।
कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी कुछ लाभार्थियों से बातचीत भी करेंगे। इस मौके पर केंद्रीय पंचायत मंत्री भी शामिल होंगे। यह कार्यक्रम 11 बजे से शुरू होगा।
क्या है स्वामित्य योजना?
स्वामित्य योजना पंचायती राज मंत्रालय की केंद्रीय योजना है। इसे पीएम मोदी ने 24 अप्रैल 2020 को लॉन्च किया था। इस स्कीम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में घरों के मालिकों को 'अधिकारों का रिकॉर्ड' प्रदान करना और संपत्ति कार्ड जारी करना है।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक राज्यों में लगभग 1 लाख गांव और पंजाब और राजस्थान के कुछ सीमावर्ती गांव, पंजाब और राजस्थान में गांवों को पायलट चरण (2020-21) में शामिल किया जा रहा है।