मित्रों-भाईयों और बहनों से लेकर 'मेरे प्यारे परिवारजनों तक'...जानें क्यों पीएम मोदी ने इस बार बदल दी भाषण की टैगलाइन?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को आपने ध्यान से सुना होगा तो एक बड़ा परिवर्तन नजर आया होगा। वो यह कि उन्होंने इस बार एक बार भी मित्रों, भाईयों और बहनों नहीं कहा।

 

PM Modi Red Fort Speech. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस भाषण का पूरा टोन ही इस बार चेंज कर दिया। 94 मिनट के भाषण में पीएम मोदी ने एक बार भी भाईयों और बहनों या फि मित्रों, या मेरे प्यारे देशवासियों नहीं कहा। उन्होंने हर बार सिर्फ एक ही लाइन दोहराई और वह लाइन है- मेरे प्यारे परिवारजनों। पीएम मोदी ने ऐसा क्यों किया, यह चर्चा का विषय बना हुआ है। आइए जानते हैं कि आखिर इस बदलाव की असल वजह क्या है और इसका जनता क्या असर पड़ने वाला है।

पीएम मोदी ने दिया ऐतिहासिक भाषण

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पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने 10वें स्वतंत्रता दिवसे के भाषण में बड़ा बदलाव किया। उन्होंने अपने सबसे लोकप्रिय मित्रों, भाइयों और बहनों, प्यारे देशवासियों की जगह इस बार मेरे प्यारे परिवारजनों कहा। हालांकि वे कई बार यह इस लाइन को थोड़ भूलते दिखे लेकिन पूरे भाषण के दौरान दूसरा टैगलाइन इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत ही मेरे प्यारे परिवारजनों से की है और हर महत्वपूर्ण बात से पहले वे यही टैगलाइन दोहराते रहे। सिर्फ लास्ट मोमेंट पर उन्होंने एक बारे मेरे प्यारे देशवासियों कहकर संबोधित किया।

पीएम मोदी का पॉवर पैक्ड भाषण

पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरूआत में ही कहा कि एक बार फिर देश के सामने एक मौका आया है। यह अमृतकाल का पहला वर्ष है। या तो हम जवानी मे जी रहे हैं या फिर मां भारती की गोंद में खेल रहे हैं। इस कालखंड में हम जो फैसले लेंगे वह आने वाले 1000 साल के लिए प्रभाव पैदा करने वाली है। गुलामी की मानसिकता से बाहर निकला देश नए संकल्पों को पूरा कर रहा है। 140 करोड़ देशवासियों के पुरूषार्थ से मां भारती जागृत हो चुकी हैं। विश्व भर में भारत की चेतना के प्रति नई आशा पैदा हुई है। यह प्रकाशपुंज जो निखरा है, उसमें विश्व को ज्योति नजर आ रही हैं।

पीएम मोदी का 3डी विजन क्या है

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हमें विरासत में बहुत चीजें दी हैं। हमारे पास डेमोग्राफी है, डेमोक्रेसी है और डायवर्सिटी है। यह 3डी त्रिवेणी ही भारत के सपनों को पूरा करेगी। दुनिया के देशों की उम्र ढल रही है और भारत में जवानों की संख्या बढ़ रही है। 30 साल से कम उम्र के सबसे ज्यादा युवा भारत में हैं। हम निश्चित परिणाम प्राप्त करके रहेंगे। भारत 1000 साल की गुलामी और आने वाले 1000 के बीच के पड़ाव पर खड़ा है। न रुकना है न दुविधा में जीना है। हमें खोई हुई विरासत समृद्धि को प्राप्त करते हुए आगे बढ़ना है।

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