खेती-किसानी व बजट पर वेबिनार: मोदी बोले-आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस 21वीं सदी में खेती से जुड़े ट्रेड को बदल देगी

देश में स्मार्ट एग्रीकल्चर के संबंध में आज एक वेबिनार आयोजित किया गया है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Mod) ने संबोधित के किया। इसमें मुख्य रूप से पांच विषय शामिल किए गए हैं। इनमें प्राकृतिक खेती व इसकी पहुंच, उभरता हुआ हाई-टेक व डिजिटल एग्री इकोसिस्टम आदि शामिल रहा।

नई दिल्ली. देश में स्मार्ट एग्रीकल्चर के संबंध में आज एक वेबिनार आयोजित किया गया है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Mod) ने संबोधित के किया। इसमें मुख्य रूप से पांच विषय शामिल किए गए हैं। इनमें प्राकृतिक खेती व इसकी पहुंच, उभरता हुआ हाई-टेक व डिजिटल एग्री इकोसिस्टम आदि शामिल रहा। वेबिनार में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर(Narendra Singh Tomar), उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल(Piyush Goyal),मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति पारस, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी तथा सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा सहित कुछ अन्य मंत्री एवं देश के सभी कृषि संस्थानों के अलावा अनेक विशेषज्ञ भी विशेष रूप से शामिल हुए। 

किसान सम्मान निधि...
मोदी ने कहा-ये सुखद संयोग है कि 3 साल पहले आज ही के दिन पीएम किसान सम्मान निधि की शुरुआत की गई थी। ये योजना आज देश के छोटे किसानों का बहुत बड़ा संबल बनी है। इसके तहत देश के 11 करोड़ किसानों को लगभग पौने 2 लाख करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। इस योजना में भी हम स्मार्टनेस का अनुभव कर सकते हैं। सिर्फ एक क्लिक पर 10-12 करोड़ किसानों के बैंक खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर होना अपने आप मे हर भारतीय के लिए गर्व करने वाली बात है।

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6 सालों में कृषि बजट कई गुणा बढ़ा
बीते 7 सालों में हमने बीज से बाज़ार तक ऐसी ही अनेक नई व्यवस्थाएं तैयार की हैं, पुरानी व्यवस्थाओं में सुधार किया है। सिर्फ 6 सालों में कृषि बजट कई गुणा बढ़ा है। किसानों के लिए कृषि लोन में भी 7 सालों में ढाई गुणा की बढ़ोतरी की गई है। ऑर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने के कारण, आज ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का बाजार भी अब 11 हजार करोड़ का हो चुका है। इसका एक्सपोर्ट भी 6 वर्षों में 2 हजार करोड़ से बढ़कर 7 हजार करोड़ हो रहा है।

बजट में 7 रास्ते सुझाए
इस बार के बजट में कृषि को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए मुख्य रूप से 7 रास्ते सुझाए गए हैं पहला- गंगा के दोनों किनारों पर 5 कि.मी. के दायरे में नेचुरल फार्मिंग को मिशन मोड पर कराने का लक्ष्य है। दूसरा- एग्रीकल्चर और हॉर्टीकल्चर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। बजट में पांचवां समाधान दिया गया है कि एग्री-वेस्ट मेनेजमेंट को अधिक organize किया जाएगा, वेस्ट टू एनर्जी के उपायों से किसानों की आय बढ़ाई जाएगी। छठा सॉल्यूशन है कि देश के डेढ़ लाख से भी ज्यादा पोस्ट ऑफिस में रेगुलर बैंकों जैसी सुविधाएं मिलेंगी, ताकि किसानों को परेशानी ना हो। सातवां ये कि एग्री रिसर्च और एजुकेशन से जुड़े सिलेबस में skill development, human resource development में आज के आधुनिक समय के अनुसार बदलाव किया जाएगा।

सॉइल हेल्थ कार्ड पर जोर
आपने देखा है कि हमारी सरकार का बहुत ज्यादा जोर सॉइल हेल्थ कार्ड पर रहा है। देश के करोड़ों किसानों को सरकार ने सॉइल हेल्थ कार्ड दिए हैं। क्या अब हमारे स्टार्टअप्स और प्राइवेट निवेशक, स्थान स्थान पर प्राइवेट पैथोलॉजी की तरह हमारी जमीन के सैंपल की भी पैथोलोजिकल टेस्ट करके किसानों को गाइड कर सकते हैं। माइक्रो इरिगेशन भी इनपुट कॉस्ट कम करने और ज्यादा प्रोडक्शन करने का बहुत बड़ा माध्यम है। Per Drop More Crop पर सरकार का बहुत जोर है और ये समय की मांग भी है।

केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट
केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखंड में क्या परिवर्तन आएंगे, ये आप सभी भलीभांति जानते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस 21वीं सदी में खेती और खेती से जुड़े ट्रेड को बिल्कुल बदलने वाली है। किसान ड्रोन्स का देश की खेती में अधिक से अधिक उपयोग, इसी बदलाव का हिस्सा है।

ड्रोन टेक्नोलॉजी
ड्रोन टेक्नॉलॉजी, एक स्केल पर तभी उपलब्ध हो पाएगी, जब हम एग्री स्टार्टअप्स को प्रमोट करेंगे। Agri-Residue जिसे पराली भी कहते हैं, उसका Management किया जाना भी उतना ही जरूरी है। इसके लिए इस बजट में कुछ नए उपाय किए गए हैं, जिससे कार्बन एमीशन भी कम होगा और किसानों को इनकम भी होगी। एग्रीकल्चर क्षेत्र में इन्नोवेशन और पैकेजिंग दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर और ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है। फलों की पैकेजिंग में हमारे कॉर्पोरेट हाउस और एग्री स्टार्टअप्स को बड़ी संख्या में आगे आना चाहिए। वो इसमें किसानों की मदद करें और इस दिशा में अपनी योजनाएं बनाएं। 

कॉपरेटिव सेक्टर
भारत का कॉपरेटिव सेक्टर काफी वाइब्रेंट है। चाहे वो चीनी मिलें हों, खाद कारखाने हों, डेयरी हो, ऋण की व्यवस्था हो, अनाज की खरीद हो, कॉपरेटिव सेक्टर की भागीदारी बहुत बड़ी है। हमारी सरकार ने इससे जुड़ा नया मंत्रालय भी बनाया है। बजट संसद में रख दिया गया है। ऐसी स्थिति में हम समय न खराब करते हुए, जून जुलाई में हमारा किसान खेती का नया वर्ष प्रारंभ करे, उससे पहले इस मॉर्च महीनें में हम सारी तैयारी कर लें। अप्रैल में हम किसानों तक चीजों को पहुंचाने का प्लान करें। मुझे विश्वास है कि अगर हम हमारे किसानों को, एग्रीकल्चर  यूनिवर्सिटीज को, हमारे एग्रीकल्चर स्टूडेंट्स को, एक प्लेटफार्म पर लाकर आगे बढ़ेंगे, तो बजट सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं रहेगा। बजट जीवन परिवर्तन, कृषि परिवर्तन और ग्राम जीवन परिवर्तन का एक बहुत बड़ा साधन बन सकता है।

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