Covid Vaccine के रिकॉर्ड से पता चलेगी देश की आबादी, 2031 तक जनगणना टालकर 12 हजार करोड़ रुपए बचाएगी सरकार

मोदी सरकार (Modi Government) ने जन्म-मृत्यु कानून में संशोधन किया है। वोटर आईडी और आधार कार्ड जल्द ही लिंक हो जाएंगे। ऐसे में बड़ी जनसंख्या का लगभग पूरा डिजिटल डाटा सरकार के पास हो जाएगा। संसद में भी यह मामला उठ चुका है कि जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने का काम आधार से मिले डेटा से कराया जाए। 

नई दिल्ली। देश में 2021 में होने वाली जनगणना अब 2031 तक टालने की तैयारी है। दरअसल, कोविड-19 (Covid 19) की दिक्कतों के चलते पहले जनगणना नहीं हो सकी। अब तैयारी की गई है कि वैक्सीनेशन (Vaccination) के रिकॉर्ड से देश की जनसंख्या की जानकारी जुटाई जाएगी। सूत्रों का कहना है कि सरकार जल्द ही इस संबंध में घोषणा करेगी। 

टीकों के रजिस्ट्रेशन से मिल रही जानकारी 
दरअसल, सरकार को देश में हो रहे टीकाकरण के कारण लोगों की सटीक जानकारी मिल रही है। अब तक 84.67 करोड़ वयस्क लोगों का डेटा सरकार तक पहुंच चुका है। अब 15 से 17 साल वालों के टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं। ऐसे में सरकार को उनकी भी सारी जानकारी जल्द ही मिल जाएगी। बताया जा रहा है कि 15 साल से ऊपर वाले सभी लोगों का लगभग पूरा डाटा सरकार को मिल जाएगा, ऐसे में सरकार का मानना है कि जनगणना 2031 तक टाली भी जाए तो सरकार को बहुत नुकसान नहीं होगा।

कवायद का असर इसलिए नहीं 
केंद्र सरकार ने जिले, गांव या ब्लॉक की सीमाएं फ्रीज करने करने का फैसला भी 30 जून 2022 तक टाल दिया है। इसी के बाद माना जा रहा है कि सरकार जनगणना टालने जा रही है। इससे पहले जनगणना के लिए 31 दिसंबर 2020 और फिर 31 दिसंबर 2021 की समय सीमा तय की गई थी। जूरिस्डिक्शन फ्रीज करने का फैसला जनगणना शुरू करने के 3 महीने पहले किया जाता है। इसके बाद किसी भी जिले, ब्लॉक या गांव की सीमाओं में फेरबदल नहीं किया जा सकता है। इसलिए माना जा रहा है कि यदि अब जनगणना का फैसला होता भी है तो इसे 2022 के आखिरी तीन महीने से पहले नहीं शुरू किया जा सकेगा। यानी पूरी प्रोसेस कई साल खिंच जाएगी और जनगणना के नतीजे 2027 से पहले नहीं आ सकेंगे। नियमों के मुताबिक यह आंकड़े सिर्फ 2031 तक ही मान्य रहेंगे, इसलिए चार सालों के 6 साल की कवायद करने का औचित्य कम ही नजर आ रहा है।

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सरकार को डिजिटाइजेशन से फायदा 
मोदी सरकार ने जन्म-मृत्यु कानून में संशोधन किया है। वोटर आईडी और आधार कार्ड जल्द ही लिंक हो जाएंगे। ऐसे में बड़ी जनसंख्या का लगभग पूरा डिजिटल डाटा सरकार के पास हो जाएगा। संसद में भी यह मामला उठ चुका है कि जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने का काम आधार से मिले डेटा से कराया जाए।

जनगणना हुई तो ऐसी कवायद 
2022-23 : जनगणना/एनपीआर के लिए मोबाइल फोन ऐप औश्र सीएमएमएस पोर्टल के लिए टेस्ट होंगे।
2023-24 : जनगणना 2021 के पहले चरण का फील्डवर्क, जिससे घर और संपत्ति का डेटा सामने आता है। 
2024-25 : देश में मिले डेटा के आधार पर जनसंख्या की गिनती शुरू होगी।
2025-26 : प्रोविजनल डेटा जारी होगा। इसमें प्राइमरी डेटा जारी कर दिया जाएगा।
2026-27 : जनगणना की 250 से अधिक अंतिम टेबल जारी होंगे। वास्तविक जनसंख्या पता चलेगी। 


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