केंद्र सरकार ने OTT प्लेटफॉर्म के लिए गाइडलाइन्स जारी की है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि OTT के लिए सरकार की तरफ से तीन फ्रेमवर्क बनाए गए हैं। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि TV को केबल एक्ट का पालन करना होता है, लेकिन OTT के लिए कोई नियम नहीं है। सभी प्लेटफॉर्म के लिए एक जैसे नियम होने चाहिए।
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने OTT प्लेटफॉर्म के लिए गाइडलाइन्स जारी की है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि OTT के लिए सरकार की तरफ से तीन फ्रेमवर्क बनाए गए हैं। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि TV को केबल एक्ट का पालन करना होता है, लेकिन OTT के लिए कोई नियम नहीं है। सभी प्लेटफॉर्म के लिए एक जैसे नियम होने चाहिए।
OTT प्लेटफॉर्म- Digital Media के लिए नई गाइडलाइन
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म-डिजिटल मीडिया को अपने काम की जानकारी देनी होगी, वो कैसे अपना कंटेंट तैयार करते हैं। इसके बाद सभी को सेल्फ रेगुलेशन को लागू करना होगा, इसके लिए एक बॉडी बनाई जाएगी जिसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई अन्य व्यक्ति हेड करेंगे। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह ही डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी गलती पर माफी प्रसारित करनी होगी।
कंटेंट का सेल्फ क्लासिफिकेशन : ओटीटी को अपने कंटेंट को पांच वर्गों में बांटना होगा। ये वर्गीकरण आयु के आधार पर होगा। आयु आधारित श्रेणियों- यू (यूनिवर्सल), यू / ए 7+, यू / ए 13+, यू / ए 16+ और ए (वयस्क)।
पैरेंटल लॉक की व्यवस्था : प्लेटफॉर्म को पैरेंटल लॉक की व्यवस्था करनी होगी। इसे यू / ए 13+ या उच्चतर, और ए के रूप में वर्गीकृत करना होगा।
डिजिटल मीडिया पर समाचार के प्रकाशकों को केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम के तहत प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के जर्नलिस्टिक कंडक्ट और प्रोग्राम कोड के नॉर्म्स को देखना होगा। इससे ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया को एक प्लेटफॉर्म पर लाया जा सके।
एक तीन-स्तरीय शिकायत निवारण व्यवस्था बनाई जाएगी।
स्तर -1: प्रकाशकों द्वारा सेल्फ रेग्युलेटरी
स्तर- 2: प्रकाशकों के सेल्फ रेग्युलेटरी बॉडी द्वारा सेल्फ रेग्युलेशन
स्तर- 3: ओवरसीज मैकेनिज्म
स्तर -1: प्रकाशकों द्वारा सेल्फ रेग्युलेटरी
इसमें प्रकाशक भारत में एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करेगा जो प्राप्त शिकायतों को निपटाने के लिए जिम्मेदार होगा। अधिकारी 15 दिनों के भीतर प्राप्त होने वाली प्रत्येक शिकायत पर निर्णय लेंगे।
स्तर- 2: प्रकाशकों के सेल्फ रेग्युलेटरी बॉडी द्वारा सेल्फ रेग्युलेशन
प्रकाशकों के एक या अधिक सेल्फ रेग्युलेटरी बॉडी हो सकती हैं। इस तरह की बॉडी का नेतृत्व सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एक उच्च न्यायालय या स्वतंत्र प्रख्यात व्यक्ति करेगा और इसके छह से अधिक सदस्य नहीं होंगे। बॉडी को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास पंजीकरण कराना होगा। यह निकाय प्रकाशक द्वारा आचार संहिता का पालन करेगा और उन शिकायतों का समाधान करेगा जिन्हें 15 दिनों के भीतर प्रकाशक द्वारा हल नहीं किया गया है।
स्तर- 3: ओवरसीज मैकेनिज्म
सूचना और प्रसारण मंत्रालय एक निगरानी तंत्र तैयार करेगा। यह सेल्फ रेग्युलेटरी बॉडी के लिए चार्टर प्रकाशित करेगा, जिसमें कोड ऑफ प्रैक्टिस भी शामिल है। यह शिकायतों की सुनवाई के लिए एक अंतर-विभागीय समिति की स्थापना करेगा।
OTT को लेकर संसद में 50 सवाल पूछ गए
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि संसद में OTT को लेकर 50 सवला पूछ गए। इसके अलावा भी दूसरे प्लेटफॉर्म पर OTT को लेकर कई सवाल सामने आए। इसे लेकर चेन्नई, मुंबई और दिल्ली में चर्चा की।सोशल मीडिया के लिए जो कानून बनाए गए हैं, वो अगले 3 महीने में लागू कर दिए जाएंगे ताकि उन्हें अपना मैकेनिज्म सुधारने के लिए वक्त मिल सके।
"पहले सेल्फ रेगुलेशन के लिए कहा, लेकिन नहीं हुआ"
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मैंने OTT कंपनियों से कहा था कि आप टीवी वालों की तरह सेल्फ रेगुलेशन करें। लेकिन नहीं हुआ। मैंने फिर कहा कि सौ दिन में बनाओ। लेकिन किसी ने नहीं सुना। इसलिए हमने तय किया कि एक फ्रेमवर्क होना चाहिए।