संसद में जब से कृषि बिल पास हुआ है तभी से विपक्षी पार्टी और किसान विरोध कर रहे हैं और सरकार से कृषि बिल को वापस लेने की गुहार लगा रहे हैं। पंजाब में किसानों ने रेलवे लाइन को बंद कर रखा है और वहीं पर ही कृषि बिल का विरोध कर रहे हैं। वहीं, अब खबर आ रही है कि संसद द्वारा पारित तीन कृषि बिलों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल गई है।
नई दिल्ली. संसद में जब से कृषि बिल पास हुआ है तभी से विपक्षी पार्टी और किसान विरोध कर रहे हैं और सरकार से कृषि बिल को वापस लेने की गुहार लगा रहे हैं। पंजाब में किसानों ने रेलवे लाइन को बंद कर रखा है और वहीं पर ही कृषि बिल का विरोध कर रहे हैं। वहीं, अब खबर आ रही है कि संसद द्वारा पारित तीन कृषि बिलों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति की ओर से ये मंजूरी रविवार 27 सिंतबर को दी है।
राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिलने से ये साफतौर से जाहिर है कि किसान और राजनीतिक दल इस विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे, लेकिन उनकी अपील किसी काम ना आई।
इन विधेयकों को सदन में मिली थी मंजूरी
संसद के मॉनसून सत्र में लाए गए कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को पहले संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिल चुकी है। अब इस पर राष्ट्रपति की मुहर भी लग गई है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में 5 जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।
3 बिल संसद से पास
संसद के दोनों सदनों से 3 अहम कृषि विधेयकों के विरोध में विपक्ष में शामिल राजनीतिक दलों समेत किसान संगठनों द्वारा 25 सितंबर शुक्रवार को भारत बंद बुलाया गया था, जिसका सबसे ज्यादा असर उत्तर भारत, खासतौर से पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में देखा गया। हालांकि, अन्य राज्यों में भी विपक्षी दलों और किसान संगठनों ने जगह-जगह प्रदर्शन किया।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) का दावा है कि भारत बंद के दौरान शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा पूरी तरह बंद रहे। दोनों राज्यों में भाकियू के अलावा कई अन्य किसान संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी भारत बंद का समर्थन किया था।
बिल को लेकर किसानों के लिए पीएम बोले- 'आजादी मिली'
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सुबह 'मन की बात' के दौरान संसद में पास हुए तीन बिलों से किसानों को होने वाले लाभ के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि 'अब किसानों को अपनी उपज को देश में कहीं भी बेचने की आजादी मिली है। प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल में भी कृषि क्षेत्र के दमखम दिखाने की सराहना की।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'जो जमीन से जितना जुड़ा होता है, वो, बड़े से बड़े तूफानों से भी उतना अडिग रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण है. संकट के इस काल में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमखम दिखाया है।'
प्रधानमंत्री ने कृषि बिलों को लेकर कहा कि 'फल-सब्जियों के अतिरिक्त किसान अपने खेत में, जो कुछ पैदा कर रहे हैं, धान, गेहूं, सरसों, गन्ना उसको अपनी इच्छा अनुसार जहां ज्यादा दाम मिले, वहीं पर बेचने की आजादी मिल गई है। 3-4 साल पहले ही महाराष्ट्र में फल और सब्जियों को एपीएमसी के दायरे से बाहर किया गया था। इस बदलाव ने महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली है।' मोदी ने यह भी कहा कि 'इन किसानों के अपने फल-सब्जियों को कहीं पर भी, किसी को भी बेचने की ताकत है और ये ताकत ही उनकी इस प्रगति का आधार है।'
कृषि बिल पर बोले नरेंद्र सिंह तोमर
विपक्षी के आरोपों के बीच केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बार-बार दोहराया कि 'किसानों से एमएसपी पर फसलों की खरीद पहले की तरह जारी रहेगी और इन विधेयकों में किसानों को एपीएमसी की परिधि के बाहर अपने उत्पाद बेचने को विकल्प दिया गया है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसानों को उनके उत्पादों का लाभकारी दाम मिलेगा।'